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अनुवादक हैं हिन्दी-संसार के सुपरिचित विद्वान बाबू रामधारी प्रसादजी विशारद—मंत्री, बिहार प्रादेशिक हिन्दी साहित्य-सम्मेलन। पृष्ठ १००। मूल-लेखक का चित्र। मूल्य ।״)

३—विपंची

रचयिता—साहित्य-भूषण श्रीरामनाथलाल 'सुमन'

इसमें 'सुमनजी' की चुनी-चुनाई उत्तमोत्तम कविताओं का सग्रह है। 'प्रताप' का कहना है कि 'केवल इसकी पहली कविता पर ही एक ही चवन्नी की कौन कहे, कितनी ही चवन्नियाँ—चाँदी की नहीं, सोने की—निछावर कर दी जा सकती हैं।' छपाई बिल्कुल अनूठी। सादगी में खूबसूरती! मूल्य ।)

४—कली

(तीन मधुर मस्तिष्कों का मलय-मकरन्द)

यह बिहार प्रान्त के तीन प्रतिभाशाली नवयुवक कवियों की चमत्कारपूर्ण कविताओं का संग्रह है। इसमें ऐसी-ऐसी चुभीली रचनायें हैं कि पढ़कर आप बरबस कलेजा पकड़ लेंगे। कविताओं में भावुकता और सहृदयता तथा रस-मर्मज्ञता की गहरी छाप है। छपाई-सफाई दर्शनीय। आप जेब में ही रखे फिरेंगे। मू॰ ।)

५—मधु-संचय

रचयिता—पं॰ शान्तिप्रिय द्विवेदी

यह पुस्तक नवयुवकों के हृदय को बरबस मुग्ध करने वाली है। छपाई-सफाई बिल्कुल अप-टु-डेट अँगरेजी फैशन की है। इसमें छबि, प्रेम और विरह पर प्राचीन एवं नवीन कवियों की चुनिन्दा रसीली कविताओं का संकलन किया गया है, जिससे यह एक प्रकार का अतीव मनोरंजक पद्यात्मक उपन्यास बन गया है। मूल्य ।״)

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