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वयोवृद्ध कवि पं॰ चन्द्रशेखरधर मिश्र के बिहार-प्रादेशिक हिन्दी साहित्य-सम्मेलन के अध्यक्ष-रूप से दिये गये भाषणों का यह सुसम्पादित संग्रह है। बिहार-रत्न बाबू राजेन्द्र प्रसाद एम॰ ए॰, एम॰ एल॰ आदि पाँच स्वागताध्यक्षो के भाषण भी इसमें संकलित हैं। देखिये, इसके विषय मे पटने का सुप्रसिद्ध अँगरेजी-द्विदैनिक 'सर्चलाइट' क्या लिखता है—The gentlemen concerned are wellknown in Hindi literary world and their addresses, both in form and matter, have certainly more than ephemeral interest attached to them. It was therefore a happy idea to bring out a collection of those addresses. We would particularly commend to the readers the remarkable address of Raja Saheb Surajpura. It is all poetry in prose We congratulate the publishers on then happy idea of bringing out this volume

पृष्ठ-संख्या ३००, पाँचो सभापतियों के चित्र, पक्की जिल्द, मू॰ १॥)

७—देहाती दुनिया

लेखक—श्रीशिवपूजनसहाय

पटने का प्रसिद्ध साप्ताहिक 'देश' लिखता है—हिन्दी-संसार में बाबू शिवपूजन सहाय को कौन नहीं जानता। आप हास्यरस के बड़े ही रसिक है। आपने जितनी पुस्तकें लिखी हैं, सब-के-सब चित्ताकर्षक एवं दिल को लोटपोट कर देने वाली हुई हैं। 'देहाती दुनिया' आपकी एक नवीन रचना है। आँखें चाहती हैं, हमेशा उलट-पलटकर देखते ही रहे। गौर कर देखने से ठेठ दिहात का साक्षात् चित्र आँखों के सामने नाचने लगता है।