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अंक ३, दृश्य ५
 


भेजना चाहता है। जान पड़ता है, इसने दूसरे बाल-बच्चे-स्त्री आदि बना लिये हैं। अब हम लोगो की आवश्यकता नहीं रही। एक को तो युद्ध मे भेन ही दिया, दूसरे को भी-

पिता-वह तेरे लिए सुवर्ण लाने गया है। पिशाचिनी। तू माँ है, तुझे आभूषणों की इतनी आवश्यकता।

लड़का-अच्छा, तो फिर जाता हूँ। (उठता और गिर पड़ता है)

पिता-तूही दे दे, इस खेतिहर गँवार को जाने दे।

(पिता क्रोध से चला जाता है)

माता-अच्छा लो, पर फिर न माँगना। (देती है)

लड़का-(लेता हुआ) नहीं, आँख खुलने तक नही। अभी एक नींद सो लेने दे। हाँ री माँ। तू कुछ गाना नही जानती, वह तो-आह। (लेटता है)

माता-कैसा सीधा लड़का है। (हँसती है) मुझसे गाने के लिए कहता है। (जाती है)

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