पृष्ठ:काजर की कोठरी.djvu/१७

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काजर की कोठरी - करता था। अपनी लडकी मरला के नाम जो वैसीयतनामा उसन लिखा है वह } भी कुछ अजव ढग का था। उसके पढने ही से उनके दिल का हाल जाना, जाता था। पाठको की जानकारी के लिए उस वसीयतनाम योग नपले हम यहा पर देते है- मैं लालसिह "अपनी कुल जायदाद जिसे मैं अपनी मेहनत से पदा क्यिा है और जो किसी तरह बीस लाख रपे से कम नही है और जिसकी तक्मीस नीचे लिसी जाती है अपनी लड़की सरला वे' नाम से जिमकी उम्र इस वक्त चौदह (१४) वप की है वसीयत करता है । इस जायदाद पर सिवाय मरला के और किसी का हक न होगा बशर्ते कि नीचे लिखी शर्तों का पूरा वर्ताव किया जाय- (१) सरला को अपनी कुल जायदाद का मैनेजर अपन पति का बनाना होगा। । (२) सरला अपनी जायदाद (जा मैं उसे देता हू) या उसका कोई हिस्सा अपने पति की इच्छा के विरुद्ध सच न कर सकेगी और नक्सिीको देसदेगा। (३) सरला ये पति का सरला की कुल जायदाद पर बतौर मनेजरी वे हा होगा न कि बतौर मालिकाना। (४) सरला का पति अपनी मैनेजरी की तनखाह (अगर चाह तो) पाच सौरपं महीी के हिसाब से इस जायदाद की आमदनी में से ले सवेगा। । (५) सरला की शादी का बदोबस्त मैं कल्याणसिंह के लडके हर- नदनसिंह के साथ दर चुका हू और जहा तक सभव है अपनी जिदगी मे उसी साथ कर जाऊगा। क्दाचित् इसके पहिले हो मेरा अन्तराल हो जाय तोसरलायोलाजिम होगा कि उसी हरनन्दनसिंह के साथ मादी करे । अगर इसके विपरीत किसी दूसरे के साथ शादी करेली तो मेरी बुत जायदाद के (जिसे में इस वसीयतनामे में दर्ज करता हू) आप हिस्से पर हमारे चारा - 1