ठीक ठीक ला जाता तो आज आप किसी उच्च स्थान पर विराजमा पुत्र व्यापार का काम करेगा तो वहुत बड़ा व्यापारी हो सकेगा श्री इसके द्वारा वह सुखी रहेगा। अतएव उन्होंने आपको कालिज से निकार कर अपने साथ व्यापार में लगाया। इसी लिए आपका मन विद्या हट कर व्यापार की ओर लग गया। कालिज छोड़ने के बाद से प्रार व्यापारी हुए। यह बात आपके चरित में ध्यान देने योग्य है। श्राप पिता ने भापको कालिज से निकाल कर व्यापार में केवल इन्ही । ८२ · कांग्रेस-चरितायली । अवलम्वन करने लगते हैं । गुण ग्रहण करने की शक्ति का प्रारम्भ माता पिता की शिक्षा पर से प्रारम्भ होता है। बचपन में माता पिता बालकों की जैसी आदत डाल देते हैं वैसी ही आदत लड़कों को बई होने पर हो जाती है । बचपन को पड़ी हुई भादत दिनयदिन दृढ़ हो होती जाती है; उनमें न्यूनता नहीं होती और जब वे भादतें जड़ पका लेती हैं फिर वे किसी तरह नहीं छूटतीं । वाचा महोदय को बचपन से ही ऐसी उत्तम शिक्षा मिली है कि आप दूसरों के उत्तम गुणों का तुरन्त अनुकरण करने लगते हैं। उस समय कालिज में जितने विद्यार्थी पढ़ते थे उन सबों में से वाचा ने ही अपने अध्यापकों के उत्तम उत्तम गुणों को ज्यादातर ग्रहण किया। आपने बड़ी सावधानी के सात अपने शिक्षकों से विद्या ग्रहण की। अध्यापक ग्रांट और एलिग्ज़ भाप से अधिक प्रसन्न रहते थे। इन अध्यापकों का उपकार वाचा को अब त स्मरण है। बचपन में आपको जैसी उत्तम शिक्षा मिली थी यदि उसका के होते। परन्तु आप को शिक्षा का क्रम पैसा नहीं चला, बीच में ही टू गया। आपकी शिक्षा का क्रम टूट जाने का कारण यह हुआ कि आप पिता बम्बई में व्यापार करते थे। उन्हें व्यापार के काम में अनुभव था । इसी कारण उन्हें यह इच्छा उत्पन्न हुई कि यदि हमार बहुत अधिः आप व्यापा मुस के लिए लगाया इसमें कुछ शंका नहीं है। परन्तु यदि की ओर ध्यान न देते और यरायर विद्याभ्यास करते रहते तो भी तक यही बसी सरकार
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