पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/७३

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

रहमतुला महम्मद संयानी। ५७ ४-इम सघ लोगों को, एक मत होकर, सारे भारतवर्ष की उन्नति के लिए यथाशक्ति प्रयत्न करना चाहिए। ५-किसी विषय पर यिना धादानुवाद हुए और देश भर के विद्वान् लोगों की बिना राय जाने उसे कदापि हांथ में नहीं लेना चाहिए। ६-गिस में सारी राष्ट्र का सम्बन्ध है उसी विषय को हाथ में लेना चाहिए । और यह भी विधारयान् पुरुपों को अधिक सम्मति द्वारा । ७-अपना काम उत्तमता और व्यवस्था पूर्वक करना चाहिए; जिससे 'फि सहसा उस विषय पर कोई भाक्षेप न कर सके और न किसी प्रकार का विरोध उत्पन्न हो। ८-हम को यह बात हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि, अन्त में सत्य भीर न्याय की जय होती ही है। नीति के ऊपर भरोसा रख कर काम करना, राष्ट्र के पुनरुज्जीवन का यही सब से बड़ा साधन है। ल-भारत-यासी जो कर देते हैं उससे शान्ति, नीर देश का सुधार ये ही दो बड़े लाभ हैं। यह बात सदैव ध्यान में रखना चाहिए । और सदेय शान्ति, राजनिष्ठा और उन्नति शील इन शब्दों को मुख से उछा- रण करना चाहिए। १०-हमको अपना सच्चा सच्चा दुःख राज्याधिकारियों को बताना पादिए। और उसके निवारण करने के लिए, सनसे विनय करना और अपने राजकीय सम्बन्ध को श्राशा, यही अपना मुख्य काम है। सयानी साहब ने उपरोक्त दस सूत्रों में राष्ट्रीय सभा के सब कर्तव्य उत्तम प्रकार से प्रेषित कर दिए हैं। इसी प्रकार आपने अपने मुसलमान भाइयों को भी उपदेश किया है वह भी बहुत ही अच्छा है। आपने उनको यह उपदेश दिया कि हम लोगों का यह विचार ठीक नहीं है कि "राष्ट्रीय सभा के उद्योग में अन्य जातियां, तो आगे हो जायंगी और हम लोग पीछे हट जायंगे यह विधार भ्रान्तिमूलक है। विद्या उन्नति का एक अच्छा साधन है। .. तुम लोग विद्या सीखो स्यपं तुम्हारी उन्नति होगी । गिना विद्या के