५४ कांग्रेस-चरितावली । मापने सालिसिटर की परीक्षा पास की। सन् १८७२ में, भाप बम्बई यूनीवर्सिटी के सभासद हुए । सालिसिटर का काम करने से प्राप का अच्छा नाम हुमा । बम्बई सरीखे नगर में सालिसिटर का काम करके नाम पैदा करना कुछ सहज काम नहीं है । परन्तु भाप ने परिश्रम और बुद्धि द्वारा इस काम में अधिक कीर्तिलाभ की। वम्बई में श्राप एक उत्तम सालिसिटर करके प्रसिद्ध हैं । सन् १८७५ में, पाप धम्मई म्युनिसि- पल कार्पोरेशन के सभासद हुए। तब से नाप यराबर म्युनिसिपल द्वारा देश की सेवा करते हैं । बम्बई शहर के सुधार में आप बड़े दत्तचित्त से काम करते हैं। भाप के काम करने को पद्धति और भाप के द्वारा होने वाले लाभ को जान कर सरकार ने आप को सन् १८८४ में, दौन कौसल का सभासद बनाया । टौन कौंसल के सभासदों ने भाप को सभासद नहीं चुना परन्तु सरकार ने अपनी ओर से आप को सभासद चुन कर आप की इज्मत की । सरकार आप का कितना मान करती है यह बात इसी से प्रगट है । ख़ोज़ा लोगों के विरासत के मुक़द्दमों को निपटाने के लिए सरकार एक फ़ानून बनाना चाहती थी । उसको उन लोगों के धर्मशास्त्र के अनुसार तय्यार करने के लिए सरकार ने एक कमीशन मुकर्रर किया। कमीशन में सरकार ने प्राप को भी नियत किया। इस काम को आप ने इस योग्यता के साथ किया कि सरकार और आप जाति बांधव सब प्रसन्न रहे । श्राप सन् १८८५ में, बम्बई के शेरिफ नियत हुए । इस सन्मान के स्मरणार्थ भाप की जाति वालों ने बहुत सा धन इकट्ठा करके आपके नाम पर एक स्कालरशिप (वजीफा) यूनीवर्सिटी में निषत किया । सन् १८८९ में, श्राप बम्बई म्युनिसिपल कार्पोरेशन के सभापति बनाए गए । इस काम को मापने बड़ी उत्तमता के साथ चलाया। इसके अलावा भाप बम्बई यूनीवर्सिटी की परीक्षा में परीक्षक का भी काम कभी कभी करते हैं। आप अपनी जाति में शिक्षा की तरक्की के लिए रात दिन परिश्रम करते हैं। आप अपना निज का कुल काम काज करके और बहुत से काम केवल देशहित ही के विचार से करते हैं। अपनी जातिवालों में विद्या का प्रचार करना और देशहित के अन्य काम सब आप अपना कर्तण के
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