वायू सुरेन्द्रनाथ बनर्जी। ya - इस खबर को सच सगझ कर मापने अपने पत्र बंगाली में इस बात की भालोचना की। २८ अमल. सन् १८८३ के 'बंगाली' में नाप ने हाईकोर्ट के जज जस्टिस जानफ्लीमेंटल नारिस की वावत कुछ लिखा । इस बात के चार दिन बाद ही उपरोक्त न्यायाधीश ने सुरेन्द्रनाथ के ऊपर अदालत को मानहानि करने का दावा किया। इस मुफद्दमें में बायू सुरेन्द्रनाथ की ओर से मिस्टर इन्लू सी० बनर्जी इत्यादि देशहितैपियों ने बहुत कुछ उद्योग किया। परन्तु उस उद्योग का कुछ फल न निकला । यावू सुरेन्द्र- नाथ के ऊपर अपराध सायित हुआ और उन्हें दो मास की जेल हुई। जय यह समाचार लोगों को मालूम हुमा तय लोगों ने इस बायत दुःख प्रकाशित किया। जिस दिन घायू सुरेन्द्रनाथ को हुक्म सुनाया जाने वाला था उस दिन माप अपनी पुस्तकें और ज़रूरी सामान प्रदालत में साथ लेते गए । पाप ने ऐसे कठिन समय में भी अपना धैर्य परित्याग नहीं किया। जिस समय बाबू सुरेन्द्रनाय कारागृह भेजे गए उस समय सैकड़ों आदमी रोते रोते, भापके पीछे जेल खाने को दरवाजे तक गए। दूर देशस्थ लोगों ने प्राप के पास पत्र और तार भेज कर सहानुभूति प्रगट की। सुरेन्द्र बाबू के साथ अन्याय हुअा, उन्हें कारागृह से मुक्त करना चा- हिए; इस प्रकार के सैकड़ों तार लार्ड रिपन, के पास पहुंचे । इस पर लाई रिपन ने भी अफ़सोस जाहिर किया। ४ जौलाई को वायू सुरेन्द्रनाथ जेल खाने से छूटे । सरकारी अधिकारियों को यह बात अच्छी तरह मालूम थी कि अगर बाबू सुरेन्द्रनाथ सवेरे जेल से छोड़े जावेंगे तो अवश्य लोग जेल के दरवाज़े पर ही भाकर खुशी खुशी उन्हें गाड़ी पर बिठला कर बाजे गाजे के साथ ले जायंगे। अतएव उन लोगों ने ४ बजे तड़के ही घायू सुरेन्द्रनाथ को किराए की गाड़ी पर बिठला कर उन को घर पर भेज दिया ! बायू सुरेन्द्रनाथ के छूटने पर बंगाल भर में खुशी मनाई गई । कलकत्ता के टाउन हाल में एक ही दिन तीन बड़ी बड़ी सभाएं हुई । उस समय फरीय बीस हजार प्रादमी इकट्ठे हुए थे । इस मकार वायू मुरेन्द्रनाथ की कीर्ति पहले की बनिसबत और भी अधिक फैल गई। भाप के पत्र 'बंगाली' के बहुत से नए ग्राहक हुए। 9
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