सर फ़ीरोजशाह एम मेहता के सी० आई० ई। 1 माप का जन्म ५ अगस्त सन् १८४५ को बम्बई में हुआ। भाप के पिता यम्बई की प्रसिद्ध व्यापारी कम्पनी "कामा एयड फो" के हिस्से. थे। इस कम्पनी द्वारा आप को बधुत अच्छा लाभ होता था । उनको व्यापार करने के सब दांव पेंच मालूम थे । व्यापार शिक्षा का महत्व उन्हें पूर्ण रूप से घात था। इसी कारण उन्हें विद्या की और भी अधिक रुचि थी। उन्होंने व्यापार दृष्टि से इतिहास, भूगोल पर बहुत ही उत्तम कई पुस्तकें लिखीं । उनके समय के युवक पारसी लोग उनकी लिखी पुस्तकों को उत्साह पूर्वक पढ़ते थे। आप की बुद्धि यही तीव्र है अतएव भारम्भिक शिक्षा आपने बहुत ही जल्द प्राप्त करली। अठारह वर्ष की उमर में मापने सन् १८६१ में घम्बई विश्वविद्यालय की प्रवेशिक और सन् १८६४ में एलफिन्स्टन फालिज से बी० ए०, परीक्षा पास की। बी० ए०, पास होने के छ महीने बाद ही आपने यहा - परिश्रम करके एम० ए० पास किया। इसके बाद एल्फिन्स्टन कालिज के आप फेलो नियत हुए । कालेज के मुख्याध्यापक सर अलेकटर ग्रांट प्राप से बहुत खुश थे। अतएव रुस्तम जी जमशेद जी जीजी भाई के ट्रेवलिंग 'फेलोशिप' मिलने के लिए उन्होंने सिफारश की । श्राप 'पारसी जाति में सबसे पहले एम० ए०, हैं। अतएव विलायत जाकर कानून • का अध्ययन करके वैरिस्टरी पास कर भावें ऐसी उनकी इच्छा पी। परन्तु मेहता के पिता को यह बात पसन्द नहीं पाई, स्वाभिमानी होने के कारण उन्होंने दूसरे का सहारा लेकर अपने लड़कों को विलायत भेजना पसन्द नहीं किया । परन्तु ग्रांट साहब के उद्योग से फीरोज़शाह मेहता पैरिस्टरी पास करने के लिए विलायत गए। विलायत जाफराभेहता महोदय ने वहां तीन वर्ष कानून का अध्ययन किया । और सन् १८६८ ई० में लिंकन्स इन से बैरिस्टरी की परीक्षा पास की । महाशय दादा भाई नौरोजी और कलकत्ते के प्रसिद्ध घेरिस्टर यायू उमेशचन्द्र धनर्जी की सहायता से मेहता ने 'लन्दन - लिटरेरी सोसाइटी' की स्थापना की । इस सोसाइटी में श्राप ने भारत की शिक्षा पद्धति पर एक निबन्ध पढ़ा। उस समय आप की उमर .
पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/४९
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।