पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/४८

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सर फीरोज़ शाह एम मेहता के० सी० आई० ई० । दानाय लक्ष्मी सुकृताय विद्या चिन्ता परब्रह्म विचिन्सनाय । परोपकाराय वांसि यस्य धन्यखिलोकी-तिलकः स एकः॥ . रतभूमि का उद्धार करने के लिए, अनेक सत्पुरुषों ने, अपना भा सर्वस्व अर्पया कर दिया। महाराज शिवा जी, महाराणा प्रताप सिंह, महाराणा सांगा, पंजाब केसरी रंजीत सिंह, महाजी सेंधिया इत्यादि वीरों ने देश के लिए क्या क्या काम फिए यह यात इतिहास पाठक भली भांति जानते होंगे । परन्तु देश के दुर्भाग्य से उनके वंशजों ने उनके व्रत का प्रति-पालन ठीक ठीक नहीं किया और इसी कारण इस देश की दशा दिनों दिन बिगड़ती गई । परन्तु, गतं न शोच्यम् । आज कल हमारा देश परतंत्र ज़रूर है परन्तु मुसलमानी राज्य की तरह जुलुम अथवा अन्याय नहीं होता। यह सन्तोप की बात है। हमें अपने सुख अथवा दुःख सरकार से निवे. दन करने का अधिकार हरवक्त दिया गया है । हमारी राष्ट्रीय सभा के । नेतागण सरकार को हमारा दुःख सदैव बताते रहते हैं । हमारे दुःखों को सरकार नहीं सुनती ऐसा भी नहीं है। नमक के महसूल और इन्कम टेक्स का कम होना हमारी राष्ट्रीय सभा के निवेदन का ही फल है। आज कल के जातीय नेताओं में फ़ीरोज़ शाह मेहता का भी नाम स्मरण रखने योग्य है । आप भी भारत की भलाई का निरन्तर उद्योग किया करते हैं।

  • धन देने के लिए, विद्या अच्छा काम करने के लिए, जान ब्रह्म

के विचार के लिए और बचन पराए उपकार के लिए, जिस का पर धन्य है।