कांग्रेम-चरितायती। H सरफार के सन्मुख, बड़ी द्वारा-गुनते और देखते हैं। परन्तु उनके कम इस से विपरीत देश जाते हैं। ऐमी मिगति में प्रगा के को युद्धिगानी और माहस के गाप इंश्यर पर भरोसा करके प्रकट करने का व्रत यदद्दीन तप्पय जी ने स्वीकार किया है। आप प्रजा का दुःख दूर करने के लिए प्रती हुए हैं अतएय प्रापफा ग्रत मुफल हो और आप के द्वारा प्रज्ञा का दुःरा दूर हो यह इमारी कामना है सन् १८८२ में सरजेम्स फाप मन साहय यम्बई के गवर्नर ने यदरुद्दीन तप्पय जी को अपनी कॉमिल का सभासद यनाया । वह समय यहा नाजुफ था। शात्म-गामनप्रणाली का अधिकार प्रजा को देने के लिए लाईरिपन ने एक नया प्रस्ताय पास किया। इसके लिए कानून यनने फा मसोदा यम्यई तरफार की कौंसिल में भाया । लाई रिपन ने भारत की प्रजा को अधिकार दिए ज़रूर । परन्तु कानून का मसौदा तप्यार करते समय सरकारी अधिकारियों ने बड़ा गोलमाल, कर दिया । उस समय फौंसिल में प्रजा की ओर से मान्यवर मेहता तैलंग और यदरुद्दीन तय्यय जी सरीखें प्रजाहितैपी लोग मेम्बर थे। इस कारण सरकारी मेम्यरों ने जैसा चाहा वैसा नहीं होसका । परन्तु हां, उन लोगों ने अपनी शक्ति के अनुसार यहुत कुछ मनमाना कर लिया। इस मौके पर यम्बई के गधर्नर सरजेम्स फग्र्युसन साहय ने बदरुद्दीन तय्यब जी की यही तारीफ की। इसी दिन से लोगों को यह भली प्रकार ज्ञात हो गया कि बदरुद्दीन तय्यय जी याहुत ही उत्तम वक्ता हैं । सन् १८८३ व ८४ में जितनी सभायें बम्बई में हुई उन हर एक में बदरुद्दीन तय्यब जी ने व्याख्यान दिए । और हर समय श्रोताओं ने भाप की वाह वाह की । फाम जी कावस जी हाल में सिविल सर्विस परीक्षा की बाबत, इलवर्ट बिल की बाबत और रिपन साहय के सम्मानार्थ जो सभा अम्बई में हुई उस की वायत आपने बहुत ही अच्छे २ व्याख्यान दिए । इस से उनकी अंलौकिक बुद्धिमानी की तारीफ़ सब लोग करने लगे। जब धीरे धीरे पाप ने अपने कामों से भारतवासी प्रजा का मन मोह लिया और देश के बड़े २ विद्वान् भाप का आदर सत्कार 1 -
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