पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/४१

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जस्टिस बदसद्दीन तय्यब जी न रत्नमाप्नोति हि निर्मलत्वं, शाणोपलारोपणमन्तरेण । स प्रकार रत्रों को परखने के लिए, उसे सान पर खराद जि कर खोटे खरे का निश्चय करते हैं इसी प्रकार मनुष्यों के गुणों की परण के लिए, दुःख अथवा समय कसौटी है। जब मनुष्य के ऊपर कोई दुःख पाकर पड़ता है तब उसके धीरज, साहस, विद्या और बल सय की परख स्वयं हो जाती है। समय पड़ने पर जिसका भीरज और साहस नहीं छूटता जो अपने कर्तव्य कर्म में एकसां लगा रहता है वही भादर्श पुरुष कहलाता है और उसी के गुणों का विकास होता है। मिस्टर बदरुद्दीन तय्यय जी जय विलायत से बैरिस्टरी की परीक्षा पास करके पाए उस समय चैरिस्टरी के व्यवसाय में जैसा चाहिए वैसा आपको लाभ नहीं हुआ परन्तु तो भी आप बराबर धीरज और साहस के साथ काम करते रहे और उसका परिणाम बहुत ही अच्छा निकला; जिसका उम्मेख हम आगे करेंगे। श्राप का जन्म ८ अक्तूबर सन् १८४० ईस्वी को खम्भात में हुआ। आप के पूर्वज अरब के रहने वाले थे। आप के पिता तय्ययजी भाई मि. यन बम्बई में व्यापार करते थे। बम्बई के प्रसिद्ध प्रसिद्ध व्यापारियों में आप के पिता का भी नाम था । माज माप जिस उच्च प्रासन पर विराज- मान हैं वह सब आप के पिता की शिक्षा का फल है। उन्होंने अपने सब लड़कों को देश काल के अनुसार शिक्षा दिलाने में किसी प्रकार की त्रुटि नहीं रक्खी। उन्होंने अपने सब लड़कों को, विलायत भेज कर योग्य शिक्षा दिलाई। उनमें से मिस्टर कमरुद्दीन तय्यबजी सालिसीटर और बदरुद्दीन तय्यब जो धैरिस्टरी की परीक्षा विलायत से पास कर आए। यह बात मुसलमान समाज के शिक्षा संबन्ध में विचार करने से तय्यब जी भाई मियन का कार्य अधिक गौरव और प्रशंसा के योग्य है।

  • बिना सान पर खरादे रन में उज्ज्वलता नहीं पाती