( ५ ) ही अधिक कृता हैं। इसी प्रकार पण्डित गणपत जानकीराम दुवे यी० ए० ने भी मिस्टर शंकरन नैप्पर का चरित हमें दिया । हम आपको इस महा- यता के लिए भी कृतज्ञ हैं। इस पुस्तक को लिखते ममय हम ने नीचे लिखी हुई पुस्तकों, मासिक पत्रों और समाचार पत्रों को महायता ली है:- Representative Indians, by G. P. Pillai B. A. Hitaarta T- रत्नमाला-मराठी, बालयोध-मराठी मासिक पुस्तक की पुरानी जिल्दें, भारत मित्र, Indian People. मराठी केसरी, गुजराती, और छत्तीमगढ़ मित्र । अतएव हम इन पुस्तक कर्ताओं और पत्र सम्पादकों के भी कृतज्ञ हैं। पदि उपरोक्त पुस्तफों और पत्रों द्वारा हमें शामिग्री प्राप्त न होती तो हम इस पुस्तक को पूरा करने में कभी, किसी प्रकार समर्थ नहीं दी - सकते है । यह पुस्तक सन् १९०६ में लिखी गई थी। परन्तु प्रकाशक के प्रभाव से अब तक अप्रकाशित पड़ी रही। परन्तु 'अभ्युदय प्रेस' के स्वामी ने इस पुस्तक को छपाने का सारा भार अपने ऊपर लिया । अतएव यह पुस्तक आज छप कर प्रकाशित हो मकी हिन्दी भाषा में यह पुस्तक अपने ढंग की पहली है । इस कारण इसमें अनेक प्रकार की त्रुटियां रह जाना मम्भध हैं । अतएव इम पहले संस्करण में जो त्रुटियां रह गई हों उनको पाठक गण क्षमा करें और मुझे सूचना दें कि मैं दूसरे संस्करण में उन सब को दूर कर मकू। प्रारंभ में यह भी विचार था कि सघ सभापति लोगों के हाफटोन चित्र भी दिए जांय। परन्तु उत्तम चित्र न प्राप्त हो सकने के कारण हमको अपना यह विचार त्याग देना पड़ा । केवल दादा भाई नौरोजी का एक दाफटोन चित्र प्रारम्भ में दिया गया है। यदि यह पुस्तक पाठकों के पसन्द आई तो हम दूसरे संस्करण में मयों के चित्र भी दे सकेंगे। 'अहियापुर, मूर्यकुमार वर्मा । - २५-४-०८ प्रयाग।
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