(परिशिष्ट) मिस्टर ए० ओ० हयूम। -:0::0:- अयं निजा परो खेति गणनालयुचेससाम् । उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥ परोक्त कवि के कथनानुसार निस पुरुप में उत्तम गुणा हो उसका नाम जान कर मन में यहा मानन्द होता है और ऐसे महात्मा पुरुष का चित्र और थरित देखने और पढ़ने को बड़ी प्रबल इच्छा रहती है। अन्य जाति के हित के लिए जो अपनी जाति वालों की परवाह न करके, उन पर उपकार करते हैं उनके गुणों का जितना यसान किया जाये उतना थोड़ा ही है । संसार में ऐसे पुरुप घहुतही कम पैदा होते हैं। भारत का कौन ऐसा पुरुष है जो यूम साहय को नहीं जानता ? संयुक्त प्रांत के इटावा जिले में, उनका नाम घर घर याल बच्चे और खियां, सय ही जानते हैं। गांव के यूढ़े लोग घूम साहब की बहुत सी बातें याद करके अब भी रोने लगते हैं। यू में साहब ने इपिहयन नेशनल कांग्रेस की स्थापना की इस कारण भारतवासी संबं उन के ऋणी हैं। जिस समय कांग्रेस का प्रारम्भ हुमा उस समय सब लोग हँसते थे परन्तु घूम साहब ने दो तीन वर्ष में ही: दिखा दिया कि कांग्रेस क्या चीज़ है । हम उनका संक्षिप्त जीवन चरित नीचे देते हैं जिसे पढ़ने से मालूम होगा कि उन्हों ने कई एक बड़े बड़े सरकारी “पदों को भारतवर्ष की सेवा करने के कारण ही नहीं स्वीकार किया। इनके पिता का नाम जोज़ेफ ह्यूम था। यह भी बड़े सज्जन राज । ए० प्रो० घूम साहब का जन्म सन् १८२० ई. में, हु। लड़कपन में इन का स्वभाव यहा चंचल था। तेरह वर्ष की उमर में
- यह हमारा है, यह दूसरे का है यह गणना श्रोछे रित्त वालों
की है। उदार चित्त के लिए सब संसार अपना दी है। दुसरा उनको कुछ है ही नहीं जिस में वे घर भाव.सलें । नैतिक पुरुप . -