वायू भानन्द मोहन बोम । हो गया। एम० ए० की पदयी दान समारभ्म के समय, कलकत्ता विश्य- विद्यालय के वायसन्सलर यादय ने सापके पांष्ठित्य फी मुक्त कंठ से प्रशंसा की थी। एक दिन की बात है कि अध्यापक महोदय ने क्लास में तीन प्रश्न दिए और कहा कि "जो इन प्रश्नों में से एक का उत्तर देगा उसे हम बहुत यहा बुद्धिमान समझेंगे और जो दो प्रश्नों का उत्तर देगा यह प्रथम श्रेणी में पास समझा जायगा। यह मुम फर बायू आनन्द- माइन ने पूछा कि "जो तीनों प्रश्नों का उत्तर देगा यह ? "अध्यापक ने हँस कर कहा "तीनों प्रश्नों का उत्तर कोई दे नहीं सकता। फिर मानन्द मोहन ने पूछा "यदि कोई देसके तो?" "तो यह हमारे आसन पर विराजमान होगा। थोड़ी देर के बाद मानन्द मोहन ने तीनों मश्नों के उत्तर लिख फर अध्यापक को बताए । अध्यापक महोदय उत्तर देख कर अवाक रह गए । एक दिन गवर्नरजनरल बहादुर कालिज देखने "आए। उस समय कालिज के प्रधान अध्यक्ष मि० सरलिफ़ साहब ने गवर्नर जनरल से भानन्द मोहन का परिचय करा दिया और इनकी कुशाग्र बुद्धि की यही प्रशंसा की। एम० ए० पास होते ही आनन्द मोहन को सरनिर्फ साहब ने प्रेसीडेंसी कालिज के 'इंजिनियरिंग विभाग में, गणित का अध्यापक नियत पार दिया। उस समय आपकी उमर वर्य की थी। अध्यापक का काम करते हुए भी आपने 'रायचन्द्रप्रेमचन्द्र स्कालर शिप' (छात्रवृत्ति) की परीक्षा दी। इसमें भी आपको स्वफलता प्राप्त हुई। 'रायचन्द्रप्रेमचन्द्र स्कालरशिप' पाकर ही आप इंग्लैंड गए। यहां आप केम्ब्रिज विश्वविद्यालय में गणित का अध्ययन करने लगे। वहां आप को लेटिन और ग्रीक भाषाओं का जानना आवश्यक था। इससे पहले इन भाषाओं से माप बिलकुल अनिभिज्ञ थे। दो नवीन भाषाओं को सीख कर उच्च स्थान लाभ करना कठिन कार्य है। परन्तु भाप ने अपने परिश्रम और अपनी असाधारण प्रतिभा द्वारा केम्ब्रिज विश्वविद्यालय की गणित परीक्षा में सर्वोच्चस्थान लाभ किया । केम्ब्रिज विश्वविद्यालय में, : जो दस विद्यार्थी उच्च स्थान लाभ करते हैं उनको 'रैंगलर' कहते हैं। इन दस विद्यार्थियों में . 1
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