पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/१३१

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डाक्टर राश विहारी घोष । यया चतुभिः कनक परीक्ष्यसे निधर्पणच्ददनतापसाढनेःन राया चतुर्मिः पुरुषः परीक्ष्यते श्रुतेन शीलन कुलेन कर्मणा ।। .. - तर राय यिहारी घोप का जन्म, २३, दिसम्बर, सन् १८४६ डा को, तोरेकोना नामक एक छोटे से गांव में हुआ। यह गांय यंगाल ,मान्त के यरदयान जिले में है। आपको पिता का नाग जगयन्धु पोप था । जगयन्धु यायू एफ सामान्य गृहस्थ । साहय को पितृ सुरा बहुत दिनों तक न मिला । जिस समय प्रापकी उमर चार वर्ष की थी तयदी आपके पिता का देहान्त हो गया। अपने भाइयों में राश बिहारी घोप सय से बड़े थे। प्रतएव श्राप को लिखाने पढ़ाने का सबसे पहले प्रबंध किया गया। प्रारम्भिक 3 शिक्षा प्रापने यानकुड़ा हाई स्कूल में पाई । वहां आपने मेट्रिक्यूलेशन की परीक्षा दी और इस परीक्षा में भाप, दूसरे नम्बर पर प्रास,हुए। मेट्रिक्यूलेशन परीक्षा पास हो जाने बाद उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए सन् १८६९ में, आप कलकत्ते पाए । कलकत्ते श्राफर आप यहां प्रेसीडेन्सी फालिग में भरती हुए। उस समय प्रेसीडेन्सी कालिज में: मिस्टर सर क्लिफ प्रिन्सिपल थे। आपके पढ़ाने की पद्धति और विद्वता को लोग उस समय बहुत बड़ी प्रशंसा करते थे। उन्हीं की निरीक्षणता में राश- बिहारी घोप ने शिक्षा पाई । सन् १८६४ में, आपने बी० ए० की परीक्षा पास की। आपका ऐच्छिक विषय भाषा शास्त्र था। अतएव नापने सन् १८६६

  • जिस प्रकार तरह से सोने की परख होती है अर्थात घिसने

से, काटने से, तपाने से, और पीटने से उसी प्रकार ४ यातों से आदमी परखा जाता है-विद्या से, शील से, कुल से, और काम से .. . .