११२ कांग्रेस-घरितायली । संसार भर में कहीं भी ये उत्कट उपाय सफल नहीं हुए हैं और न भारत. वर्ष में भी ये कभी सफल होंगे। इस से लोगों के मन पर बहुत धुरा प्रभाव पड़ेगा जिसे शायद वे कभी न भूलें । शासन का काम भी इस बिल के पास हो जाने से कुछ सरल न हो जायगा यरन् जिस असन्तोष को रोकने के लिए भाप इस यिल को पास करते हैं इसके पास हो जाने से वह दिन दूना रात चौगना बढ़ेगा।" पाठकगण ! आपने गोराले महोदय की स्वतंत्रता को देखा ? सच्च यात कहने में आप किसी का भय नहीं करते। भारत के विधाता और उनके मंत्रियों के सम्मुस ही प्रापने किस प्रकार उनके कार्य की निन्दा की। सच बात कहने का श्राप में एक सर्वोत्तम गुगा है। दूसरा गुण प्राप में त्याग का है। सबसे पहले आपने दक्षिणात्य शिक्षा समिति के लिए धन का त्याग करना स्वीकार किया।केवल जीवन निर्वाह के लिए सत्तर रुपया मासिक वेतन लेना और धैर्यता पूर्वक काम करना एक युवक के लिए बहुत ही सराहनीय है। उच्च विद्या प्राप्त करने पश्चात युवकों के मन में, सुख और वैभव पाने की उत्कट अभिलाषा सहज में ही पैदा होती है। ऐसे कठिन समय में अपने मन को रोक कर देश हित के लिए अपना जीवन दै देना कितना कठिन काम है । गोखले महोदय ने फ़ग्युसन कालिज में विद्यार्थियों को विद्यादान देने के लिए बीस धर्ष तक अपना जीवन निछावर कर दिया । त्याग के अतिरिक्त एक विशेष गुण आप में और है ; वह गुण है गुरुभक्ति । हमारे देश में प्राचीन समय में यह नियम था कि शिष्य कार्य करने से पहले अपने गुरु का अभिवादन करता था। इसी प्रकार गोखले महोदय सदा अपने प्रिय गुरू रानडे का भक्ति पूर्वक नामोच्चारण करते हैं। जहां कहीं इस विषय का ज़िक्र आता है आप अपने को 'रानडे महोदय का बतलाते हैं और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकाशित करते हैं। आप अब भी देश हित का कार्य तन, मन, धन, से कर रहे हैं । ईश्वर से हमारी प्रार्थना है कि आप दीर्घायु हों और इसी प्रकार सदैव देश का कार्य यराबर करते रहें। •ऋणी
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