१०६ कांग्रेस-चरितायली। . - में व्यतीत करें। इमी कारण सापने शिक्षक की दशा में भी अपने अध्य. यन को बराबर जारी रक्या अन्य लोग जो समय नौकरी करने से बधा- पाते हैं उसे प्रामाद प्रमोद, कथा यार्ता इत्यादिक अनेक व्यर्थ के कामों में नष्ट करते हैं परन्तु आपने अपना समय विद्या अध्यपन में लगाया। अर्थ शास्त्र पर आपको अधिक अनुराग है। यहुत सा समय उसीके मध्य- पन और मनन में आपने अपना व्यतीत किया। इस समय भाप अर्थ- शास्त्र के बहुत बड़े पंडित समझ जाते हैं। अर्थ शास्त्र में आपके प्रगाध पांडित्य और गंभीर ज्ञान का तय परिचय मिलता है जय श्राप देश की नार्षिक दशा पर कहीं व्याख्यान देते हैं। आप अपने उत्तम गुणों के पारण पूना में, बहुत ही शीघ्र लोगों को प्रिय हो गए । चारों ओर लोग भापके कार्यों की प्रशंसा करने लगे। सौभाग्य वश सन् १८८७ में, पूना में आपकी स्वर्गीय महादेव गोविन्द रानडे से भेंट हो गई । रानडे से भेंट हो जाने से आपके जीवन में फेर फार होना प्रारम्भ हुआ। रानडे ने आपकी कुशाग्र बुद्धि को जान कर पाप से देश हित या कार्य लेना आरम्भ किया । रानडे महोदय ने देश का कार्य करने योग्य, योग्य शिष्य पाया और गोखले को अपनी योग्यता प्रगट करने का उत्तम अवसर मिला । रानडे और गोखले के सम्मेलन से मानो इतिहास में एक शुभ घटना घटित हुई । रानडे नहोदय उस समय पूना को सार्वजनिक सभा के सभापति थे । हमारे प्रान्त के निवासी चाहे इस सभा से अपरिचित हों परन्तु बम्बई प्रान्त के लोग इस सभा को उत्तम रीति से जानते हैं । वम्बई प्रान्त में राजनैतिक उन्नति का मुख्य कारण यह सभा है। रानडे महोदय ही इस सभा के जीवन दत्ता थे। रानडे महोदय के पास सार्य- जनिक कामों की इतनी अधिकता पीति अकेले सब कार्यों को ठीक ठीक नहीं कर पाते थे। उनको इस कार्य में सहायता देने के लिए एक प्रतिभाशाली पुरुप की आवश्यकता थी। रानडे ने गोसले को देखते ही जान लिया कि इनके द्वारा अवश्य हमें देश हित के कार्यों में सहायता मिलेगी । अतएव रानडे महोदय ने गोखले से कार्य में सहायता देने के लिए कहा । आप तो इस बात की चिन्ता में ही थे
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