मर हेनरी काटन। A करेगी।" जो नान्दोलन किया जाता है, पाहे यद इस देश में हो अथवा किसी अन्यदेश में उसका मुख्य कारण शिक्षित लोगही हैं। ऐसी दशा में इस देश के युवा विद्यार्थियों और सुशिक्षित आन्दोलन करने वालों की सम्मति को कौन धुद्धिमान पुरुष तिरस्कार कर सकता है ? यदी युवक भावी पीढ़ी के जनक हैं-धन्दी की सन्तान भविष्यत में अपने देश का उद्धार भारतवासियों की वायत उनकी यह राय है कि:-"भारतवासी अत्यन्त श्रद्धालु, धार्मिक और कृता होते हैं। यही पूर्वी देशों के प्रधान गुंग हैं । इन को फिसी प्रकार नष्ट नहीं होने देना चाहिए।" आप अन्याय और अनुचित बर्ताय से यहुत ही घृणा करते हैं। अपने हृद्गत विचारों को प्रगट रूप से प्रकाश करने में आप कभी नहीं डरते। आपका स्वभाव ऐसा होने के कारण परिणाम यह हुना कि बड़े बड़े सरकारी अफसर और संकुचित हृदय के उनके कुछ भाई बन्द आपसे विरोध करने लगे। आसाम के मजदूरों की दशा देख कर आपको ऐसा खेद होता था कि भाषण करते समय आप इस बात को बिलकुल भूल जाते थे कि हम सरकार के नौकर हैं या क्या ! एक समय पर, आपने बड़े लाट साहब की कौसल में यह कहा था कि “यह उन दुःखियों को राम कहानी है। हे लाई महोदयः । मैंने इस शोचनीय विषय पर बहुत कुछ कहा है। क्या मेरा कथन प्रय तक सिद्ध नहीं हुआ ? क्या इस से मुझे क्रोध नहीं आएगा ? मैं सच कहता हूं कि इन अभागों की राम कहानी का और इनके साथ जो अन्याय और अनुचित याव हो रहा है उसका, वर्णन करते करते मेरी नसों का खून खौलने लगा है । यदि इस विषय में आपकी सहानुभूति प्राप्तन होगी तो सचमुच मुझे बड़ा आश्चर्य होगा।" क्या इस प्रकार के वाक्य, जो सच्ची सहानुभूति के दर्शक हैं, कभी किसी ने दास वृत्ति में पानन्द मानने वाले पुरुष के मुख से सुने हैं ? सुनते हैं कि . प्रासाम के मजदूरों का पक्ष स्वीकार करने के.कारण ही सरकार ने प्रापको यंगाल के कोटे ,,लाट का पद नहीं दिया !
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