पृष्ठ:कांग्रेस-चरितावली.djvu/११३

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सरहेनरी काटना बनाने वाली नहीं हैं।जय कभी आपने भारतवासियों के साथ भलाई करने का अवसर पाया तय ही मापने स्वयं श्रद्धा और प्रेम पूर्यफ भारत की भलाई का उद्योग किया। भारत के सुशिक्षित नवयुवकों पर आप को निस्सीम प्रेम है । क्योंकि भारतवर्ष की भायी उन्नति वर्तमान युवकों के ही आधीन है। खेद की बात है कि इस बात पर कोई उचित ध्यान नहीं देता। अब तक हमारे स्कूल और कालिगों में जिस प्रकार की शिक्षा दी जाती थी और अब जो नवीन यूनियर्सिटी एक के अनुसार शिक्षा दी जायगी उससे यह आशा कदापि नहीं की जा सकती फि इस देश के शिक्षित युधकों से इस देश का कुछ कल्याण होगा । जिस शिक्षा के द्वारा प्रात्मत्याग, देश सेवा और निरन्तर परिश्रम करने का उत्माह प्राप्त नहीं होता वह शिक्षा किस काम की ? हमारे देश के नेताओं को शिक्षा विषय पर बहुत ही अधिक ध्यान देना चाहिए । यदि इस यायत कुछ भी उद्योग न किया जायगा तो "नूतन भारतवर्ष" खपुष्प के समान केवल फल्पना ही में बना रहेगा। फाटन महोदय ने एक बार रिपन कालिज के विद्यार्थियों को इस 'प्रकार उपदेश दिया था:- "इस विद्यालय का नाम रिपन फालिज है। मैं रिपन के नाम को अत्यन्त पूज्य मानता हूँ। तुम लोग भी ऐसा ही मानते होगे। तुलारी ' सन्तान भी उस महात्मा फा नाम भक्ति, श्रद्धा और प्रेम के साथ उच्चारण करेगी। रिपन कालिज में शिक्षा पाने के कारण मैं तुम सबों को हार्दिक धन्यवाद देता हूं। निस्सन्देह तुम लोगों को इस बात का गौरव प्राप्त होगा कि तुम लोगों ने इस कालिज में शिक्षा पाई जिस का नाम उस महात्मा की याद दिलाता है। जिसने इस देश की मूफ प्रजा को श्रास्म- शासन प्रणाली के हक्क प्रदान किए । यद्यपि इसी कारण कुछ । संकुचित हृदय, के अंगरेज़ों ने उनकी निन्दा की, तथापि वे भारतवासियों के मेम और प्रादर के पात्र होगए हैं। प्यारे बालकों ! तुम अपने जीवन

में रिपन, महोदय को अपना आदर्श मानो । जम तुम्हें कुछ याठिन फाग

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