१४ काग्रेस- लिखा है कि "मुझे अपने भाई के लेखसे निम्न लिखित वाक्य उत_ लोग मिल, केन्ट, मेक्समूलर और मेन के ग्रंथों का अध्यपन करते हैं। संख्या कई करोड़ हैं। जो-जोग अपने द्रव्य से बड़ी फिर आप लदंन के किंग्ज कालिज में भरती हुए। आप ने वहां इतिहास और साहित्य में प्रवीणता प्राप्त करके अच्छा नाम पाया। सन् १८६७ श्राप भारतवर्ष में साए और २२ वर्ष की उमर में, मिदनापुर जिले के असिस्टेंट मजिस्ट्रेट नियत हुए। फिर ग्यारह वर्ष के बाद आप चिट- गांव के फलेकर हुए । वहां से आप बोर्ड साफ़ रेव्यन्यू सेक्रेटरी, पुलिस कमिश्नर, फलकत्ता कारपोरेशन के चेयरमेन, बंगाल गवर्नमेंट के चीफ सेक्रेटरी प्रादि भिन्न भिन्न पदों पर रहे। माय फुछ दिनों तक लेजिसलेटिव कोंसल के सभासद भी रहे । पाप कामों से प्रसन्न होकर सन् १८९२ में सरकार ने आपकी सी० एम० भाई की पदवी प्रदान की। सन् १८९६ में लाई एलगिन ने पापको गवर्नमेंट साफ इपिहया के होम सेक्रटरी के पद पर नियत किया। उसी पर में के सम्यम्ध में उनके अनुभव ज्ञान, और प्रेम को देख कर सरकार उनमें Gazatteer of india के नूतन संस्करण सस्पादन कार्य में सहायता ली है। अपने भाई सर हेनरी की तरह वे भी भारतवर्ष के प्राधुनिक शितित लोगों को मादा सहानुभूति और प्रतिष्ठा की निगाह से देखते हैं। सर हेनरी काटन ने अपनो New India नूतन भारतवर्ष नामक पुस्तक में, अपने भाई के लेख से नीचे लिख हुये वाक्य उध्त करते हुए या करने में बड़ा हर्ष होता है:- 'जो लोग यहुतेरे अङ्करेजों से भी अच्छी प्ररेजी बोलते हैं, जो यही मिलों का कारोबार चलाते हैं जो लोग अगरेजी भाषा के जो बडे समाचार पत्रों का सम्पादन करते हैं; वे किसी प्रकार कम दर्जे के लोग नहीं कहे जा सकते।" सर हेनरी काटन का विद्याभ्यास पहले भाक्सफोर्ड में हुमा। में, पर मे भाप प्रामाम के चीफ कमिश्नर नियुक्त हुए । सरकार ने प्रायः फे० पी० यम० आई० को उपाधि दी। प्राकमाय प्रियता, पक्षपाद
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