१२ जो बाते कांग्रेम में कहीं वह सब बहुत अच्छी थीं। परन्तु आपका व्याख्यान मदरास में खूब ही पानी घरसा, जिस से कि लोग सुबिधा के साथ बैठ कांग्रेस-चरितावली। ही करते हैं। हां, ज्यादा दौड़ धूपं का काम अब आप नही कर सकते हैं। न विलायत जाकर कठिन परिश्रम करको भारत का हित साधन कर सकते हैं। आपने भारत के हित के लिए जो कुछ काम किया यह थोड़ा नहीं है। हां, यह सत्य है कि जैसा हित आप करना चाहते थे और जिस के लिए विलायत में प्रापने कठिन परिश्रम भी किया था वह भारत के दुर्भाग्य से पूरा न हो सका ! भारतवासियों ने भी अपने हित चिन्तक का सन्मान करने में किसी प्रकार की कसर न की । बाबू लाल मोहन घोष को लोगों ने सन् १९०३ ईसवी में, कांग्रेस का सभापति चुना। इस राष्ट्रीय सम्मान को भाप ने भानन्द पूर्वक ग्रहण किया । अर्थात् कांग्रेस की उन्नीसवीं बैठक जो मद- रास में हुई उस में आपने सभापति का प्रासन सुशोभित किया था। नापने जो मुनने में, लोगों को दुर्भाग्य से प्रानन्द न प्राप्त हुआ। कारण यह कि उस समय कर ठीक ठीक श्राप का व्याख्यान न सुन सके। दूसरे उन्हीं दिनो में भाप का गला भी बैठ गया था, जिस कारण दूर भी आप की आवाज़ सुनाई नहींपड़ी ! लोगों को MC पOTO 340A 40A xICE 38
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