54 यायू लालमोहन पोप।
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सिविल सर्विस की परीक्षा होती है उसी प्रकार भारतवर्ष में भी हुशा फरे। इस काम को पूर्ण रूप से करने के लिए लोगों ने प्रापम में सलाह करके यावू लाल मोहन पोप को पिलायत भेजा। • इस विषय का उद्देश्य लोगों को समझाने का भार यायू सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने अपने ऊपर लिया । सन्हों ने शहरों गदरों, गांय गांय घूम कर, सभा फरके, पालियांमेंट में पेश करने के लिए, एक मेमोरियल तप्यार किया। इस मेमोरियल को साथ लेकर, पालियामेंट में पेश करने के लिए, यायू लाल मोदन पोप सन् १८१८ में, भारत से विलायत को विदा हुए। विलायत में जाकर मापने व्यारयानों द्वारा यहां सूबही आन्दोलन मचाया । घोड़े दिनों के परिश्रम से ही विलायत के लोग भाप के साथ सहानुभूति प्रगट करने लगे। विलायत के प्रसिद्ध नीता मिस्टर माइट ने भापके साथ अपनी पूर्ण सहानुभूति प्रगट को और आपके साप भारत का हित करने के लिए, काम करने को, राजी हुए। विलिज रुम (लन्हन) में, मिस्टर ब्राइट के सभापतित्व में, मिस्टर पोप ने सभा करके अपने उद्देश्य पर व्याख्यान दिया। आपने अपने विषय के प्रतिपादन और पुष्टि करण में इतना अच्छा भाषणा फिया कि मिस्टर ब्राइट ने सभापति के नाते से मिस्टर पोप के कपन का पूर्णरूप से समर्थन करते हुए लालमोहन की विद्या, वाक्चातुरी की प्रशंसा मुक्ति कंठ से की। मिस्टर घोष के व्याख्यानों का उस समय विज्ञायत के लोगों पर बहुत अच्छा अंमर पड़ा। उस समय विलायत में कन्सर्वेटिव गयमेंट का अधिकार था। पालिामेंट के कन्सटिय मेम्बरों ने भारतवर्ष में 'सिविल सर्विस परीक्षा लेने का बिल, हौस श्राफ कामन्स में पेश किया। यायू लालमोहन पोप विलायत में थोड़े ही दिन रहे परन्तु भापके भाषण सुनने की इच्छा यहां अधिक लोगों में उत्पन्न हो गई । जिस समय आप विलायत में थे उस समय आपके व्याख्यान सुनने को बहुत इच्छुक रहा करते थे। भारत में सरकार की व्यापार सभ्यधी कैसी व्यवस्था और कैसी पालिसी है इस का ज्ञान प्राप्त करने के लिए यर्किंगदम चैम्बर मा कामर्स ने, प्रापको निमंत्रित किया ! नापने वहां जाकर भारत सरकार की व्यापार सम्यन्धी पालिसी, व्यवस्था और. लोग ,