अच्छी तरह पड़ता है। भारत का कल्याण चाहने वालों कांग्रेग-परिवायलो। भारत के करयाग का गिन्तगन करने वाले हर एक को ये बातें ध्यान में रखना चाहिए। भारत की ऐगी राज-भक प्रजा गायद ही किमी देश में हो। यहां के लोग राजा को ईश्वर का नंग मानते हैं और उसकी साजा का सघन करना पाप ममझते हैं। अन्य देगों के लोग राजदगड के कारण राजा से हरते और उनकी आमा का पालन करते हैं परन्तु भारतीय प्रजा पाप के भप से राजा को आशा मिना किमी प्रकार का हीला हवाला किए स्वीकार करती है और राजा को भय उपस्थित होने पर अपना तन,मन. धन मय उसके अर्पण कर देनी है। ऐसी भोली भाली और कर्तव्य परा यण प्रजा के कपर विग्यासन करके उसके धन को अधिक सेनारसकर नष्ट करना और उमको गिता और मुख को और ध्यान न देना कितनी बड़ी लज्जा की यात है। भारत में अकाल पर अकाल पड़ते हैं परन्तु सरकार भी स्थायी प्रबंध न फरक सेना विभाग के मुधार में, प्रजाका धन नष्ट किर रही है जिमके फारगा भारत की प्रजा दिनों दिन कंगाल होती जाती है। ये सय यात आप स्पष्ट रूप से लोगों को समझाते हैं। बहुत से लोगों को स्पष्ट योलने का माहम नहीं होता परन्तु वाचा महोदय वेधडक, निडर होकर, मत्य यात को साफ साफ लोगों के सामने कह देते हैं। भाप अन्तःकरण से सत्यवादी हैं । आप हमेशा यही कहा करते हैं कि “नहि सत्यात् परो धर्मः" अर्थात् सत्य मे बढ़कर और कोई दूसरा धर्म नहीं है । इस पर आपको पूरा विश्वास भी है। कथन मात्र में ही आप सत्य शब्द का प्रयोग करते हों ऐसा नहीं वरन् सत्यता भी करके लोगों को दिसलाते हैं। इसी कारण आप को वाक्यों का प्रभाव सूब में यह गुण जहर होना चाहिए। क्योंकि ऐसे लोगों की जिला लेखनी से जो काम होता है वह यही बड़ी तोपों से नहीं हो सकता। ऐसे लोगों द्वारा ही भारत को मूक प्रजा के दुःख का ज्ञान वृटिश सर कार को हो सकता है और सम्भव है कि सरकार हमारी सच्ची स्थिति जानकर हमारे दुःख की शोर कभी न कभी जरूर ध्यान देगी। उमका कुछ पूर्वक काम श्रोतामों पर अथवा
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