पृष्ठ:कहानी खत्म हो गई.djvu/१०६

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
अभाव
१०५
 


है। वे सच कहते हैं कि अब मैं पारामतलब हो गया हूं।'

सन्नाटा-सा फैल गया है। पंजाब की जान-सी निकल गई है। इस शरीर में कहां वह चैतन्यता थी आज, उसके नष्ट होने पर शरीर निर्जीव पड़ा रह गया। आज पंजाब का बच्चा-बच्चा जानता है कि उस सिंह-पुरुष का अभाव पूर्ण होना शक्य नहीं। पंजाब के लाखों युवक मानो अनाथ हो गए। पंजाब की शोभा मारी गई! पंजाब का मानो सिर कट गया! पंजाब खो गया! अब पंजाब का धुरी कौन होगा? कौन पंजाब के सिर पर हाथ धरेगा? कौन पंजाब के अस्तित्व को कायम रखेगा? कौन पंजाब के बढ़ते हुए तूफान को शमन करेगा? आज पंजाब की आत्मा का अभाव है। आज पंजाब की लाश पड़ी हुई है। ओह, अब पंजाब का क्या होगा?