भारतपरिचय
जो पुरुषारथ ते कहूँ सम्पति मिलति रहीम ।
पेट लागि बैराटघर तपत रसोई भीम ॥
छल बल समै बिचारि कै अरि हनियै अनयास।
कियौ अकेले द्रोनसुत निस पांडव कुलनास ॥
द्यूतपरिचय
मन तू समझि सोच विचार ।
भक्ति बिन भगवान दुर्लभ कहत निगम पुकार ॥
साध संगति डारि फासा फेरि रसना सारि ।
दाव अबकें पर्यो पूरो उतरि पहिली पार ॥
वाक सत्रे सुनि अठारे पंच ही कों मारि ।
दूर ते तजि तीन काने चमकि चौक बिचार ।।
काम क्रोध जंजाल भूल्यो ठग्यो ठगनी नारि ।
सूर हरि के पद भजन बिन चल्यो दोउ कर झार॥
वृक्ष, पक्षी इत्यादि परिचय
तरु तालीस तमाल ताल हिंताल मनोहर,
मंजुल बंजुल तिलक लकुच कुल नारिकेलवर ।
एला ललित लवंग संग पुंगीफल सोहैं,
सारी शुक कुल कलित चित्त कोकिल अलि मोहैं।
शुभ राजहंस, कलहंस कुल, नाचत मत्त मयूरगन ।।
अति प्रफुलित फलित सदा रहै केशवदास विचित्र वन ॥ .
ज्योतिषपरिचय
उदित अगस्त पंथ जल सोखा । जिमि लोभहि सोखै संतोषा ॥