उदाहरण
कवित्त
मदन मोहन! कहौ रूप को रूपक कैसो,
मदन बदन ऐसो जाहि जग मोहिये।
मदन बदन कैसो शोभा को सदन श्याम,
जैसो है कमल? रुचि लोचननि जोहिये।
कैसो है कमल? शुभ आनन्द को कन्द जैसो,
कैसो है सुकंद? चन्द उपमान टोहिये।
कैसो है जु चन्द वह? कहिये कुँवर कान्ह,
सुनौ प्राण प्यारी जैसो तेरो मुख सोहिये॥४४॥
श्री राधा जी ने पूछा कि---'हे मदनमोहन! सुन्दरता का रूपक (उपमान) क्या है? श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया---'कामदेव का मुख, जिस पर संसार मोहित होता है। उन्होने फिर प्रश्न किया है 'हे श्याम! मदन का मुख कैसा शोभावान् है?' तो श्रीकृष्ण बोले कि 'जैसा कमल है, उसकी शोभा आँखो से देख लो।' तब उन्होंने पुन पूछा कि 'कमल कैसा सुन्दर है? हे शुभ! बतलाइए।' तब वह बोले कि 'जैसा आनन्द पूर्ण बादल,' उन्होंने पुनः प्रश्न किया---'बादल कैसा सुन्दर है?' तब उन्होंने उत्तर दिया कि 'उसके समान तो खोजने पर चन्द्रमा ही मिलता है।' राधा जी फिर बोलीं कि हे---'कुँवर कृष्ण वह चन्द्रमा कैसा सुन्दर है?' तब उन्होने उत्तर दिया कि हे--'प्राणप्यारी! सुनो, जैसा तुम्हारा मुख सुन्दर है।'
२१---परस्परोपमा
दोहा
जहाँ अभेद बखानिये, उपमा अरु उपमान।
तासों परस्परोपमा, केशवदास बखान॥४५॥