जो गौओ को आकर्षित करते है अर्थात् गौएँ उनके पीछे-पीछे घूमती फिरती है और जो सुन्दर गुणो से भूषित है बडे-बडे राजाओ को परास्त करने वाले या दुष्ट राजाओ को मारने वाले है। जो पाप कर्मों को हरने वाले और खर ( गदहे का रूप रखकर आने वाले धेनुक राक्षस ) को मारने वाले है तथा 'केशव' कहते है जिनका यश दासो ( भक्तो ) ने गाया है। जिन्हे नाग का शरीर प्रिय है ( क्योकि प्रभास क्षेत्र मे साप का रूप रखकर समुद्र मे गये थे ) ओर जो लोग-माता यशोदा, रोहिणी आदि को सुख देने वाले है। जो अपने भाई ( श्रीकृष्ण ) के कुबलया और कस बध आदि कार्यो मे सहायक है , जो सदा नवल वय के और मन को अच्छे लगने वाले है। ऐसे या तो राजा रामचन्द्र है या श्रीबलराम जी है , या श्री परशुराम जी है या राजा अमरसिंह है।
तीसरा अर्थ
परशुराम पक्ष
जिन्हे दान वारि ( दान देते समय सकल्प का जल ) सुख देता है अर्थात् जिन्हे दान देने मे बडा आनन्द मिलता है। अपने जनक (जमदाग्नि ) की पीडा ( कष्ट ) का अनुसरण करके जो धनुष की प्रत्यचा खींचते हुए, तत्कालीन ( रौद्र ) रस से सुशोभित लगते थे। जो अनेक राजाओ को मारने वाले कर्मों ( पाप कर्मों ) के हरने वाले है। जो बडे-बडे दोषो के नाशक है और केशव कहते है कि और केशव कहते कि उनके दासो ने उनकी प्रशसा इसी प्रकार की है। जिन्हे नागधर ( श्री शकर जी ) प्रिय मानते है और जो लोक-माता श्री पार्वती को ( अपने गुणो से सुख देने वाले है। जिनका सहायक कोई सगा भाई न था और अपने बल के भरोसे रहने के कारण ही जिनकी प्रशसा की जाती है। ऐसे परशुराम जी है जो मेरे मन को अच्छे लगते है।