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सातवाँ-प्रभाव

भूमि-भूषण वर्णन

दोहा

देश, नगर बन, बाग गिरि, आश्रम, सरिता, ताल।
रवि, शशि सांगर, भूमिके, भूपण, ऋतु सब काल॥१॥

देश नगर, वन, बाग, पर्वत, आश्रम, नदी, तालाब, सूर्य और चन्द्रमा का उदय-अस्त, समुद्र, छहो ऋतुए तथा बारहो मास-ये भूमि भूषण कहलाते है।

देश वर्णन।

दोहा

रत्तखानि, पशु, पक्षि, वसु, वसन, सुगन्ध, सुवेश।
नदी, नगर, गढ़, वरणिये, भूपित भाषा देश॥२॥

किसी देश के वर्णन करने मे रत्नखानि, पशु, पक्षी, धन, वस्त्र, सुगन्ध, सुन्दर शोभा, नदी, नगर, किले, भाषा तथा पहनावे का वर्णन करना चाहिए।

उदाहरण

कवित्त

आछे आछे अराज, बसन, बसु' वासु, पशु,
दान, सनमान, यान, बाहन बखनिये।
लोग, भोग, योग, भाग बाग राग रूप युत,
भूषनति भूपित, सुभाषा भुख जानिये।
सातौ पुरी तीरथ, सरित, सब गगादिक,
'केशौदास, पूरण पुराण गुण गानिये।
गोपाचल ऐसो दुर्ग राजा मान सिंह जू को,
देशनि की मणि महि मध्यदेश मानिये॥३॥