है कै उमा है देन बर की । रक्षक सदा है बल विक्रम अदा है भीम गदा की ददा है सिच्छदा है कवि कर की ॥ समर उजा है दुख दोष विरजा है सदा पूनी जे कुजा है अनुजा है हिमिकर की। धरम धुना है देन शत्रुन सजा है पुनि पालन प्रना है द्वै भुना रघुबर की ॥ ५४ ॥
मैन चैन भजन कुरङ्ग मद-गंजन परस भौर सनन सलोनई लगत हैं । पानिप के पंजन छबीली छबि छजन जलज जल मजन ते उपमा पगतु है ।। मीन सुत बंजन कपोत कीर कनन कुमारी वृषभान जू की आनन जगतु हैं । वारौ काटि खनन मुरारि मन रजन ये तरे हग अंजन निरजन ठगतु है ॥ ५५ ॥
सवैया ।
गुनगाहक सों बिनती इतनी हकनाहक नाहिं ठगावनो है ।
यह प्रेम बजार की चादनी चौक में नैन दलाल अंकावनो है ॥
गुन ठाकुर ज्योति जवाहिर है परबीनन सो परखावनो है।
अब देख बिचारि सँभारि कै माल जमा पर दाम लगावनो है।।५६।।
कवित्त ।
ऐसी छवि कंज में न देखी खन-गंज में चकोर मोर मंज में नमीन की उमङ्ग में । कर्दकील कैरव कटाक्षऊ निखेद कर बेधि करि बानन से कानन के सङ्ग में ॥ सती बाधि सौतिन के साल के करनहार हग्द्याल बाल के विसाल हग रङ्ग में । माते ऐसे अङ्ग में मनो मतङ्ग जङ्ग में न चंचलाई मृग कुरङ्ग तुरङ्ग में ॥ ५७॥