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पुस्तकें, जो साहित्य-भवन, द्वारा मिलती हैं, उनके साथ यह रिआयत नहीँ।

२—ग्राहकों को अपना नाम, गाँव, पोस्ट और ज़िला साफ़ साफ़ लिखना चाहिये। "हम जाने हुये ग्राहक हैं" ऐसा समझ कर अपना नाम आदि लिखने में लापरवाही न करनी चाहिये। रेल द्वारा पुस्तकें मँगाने वालोँ को रेलवे स्टेशन का नाम साफ़ साफ़ लिखना चाहिये।

३—चार आने से कम का वी॰ पी॰ नहीं भेजा जायगा। इसके लिये डाक के टिकट भेजने चाहिये।

४—दस रुपये से अधिक मूल्य की पुस्तकें मँगाने वालों को कम से कम दो रुपये पेशगी भेजना चाहिये।

५—डाक अथवा रेलवे पार्सल में यदि पुस्तकें खोई जायँगी तो उनके उत्तर दाता हम न होगे।

६—साहित्य-भवन का सूचीपत्र मुफ्त भेजा जाता है। सूचीपत्र में जिन पुस्तकोंके नाम हैं उनके दाम घट बढ़ जाने से ग्राहकों से भी उतना ही लिया जायगा।

७—कोई पुस्तक लौटाई न जायगी। यदि हमारे कार्यालय की कोई भूल होगी तो उसके ज़िम्मेदार हम होंगे।

८—पुस्तकें उधार नहीं दी जातीं, उसके लिये कोई अनुरोध रोध न करें।

९—जो महाशय जार्डर के मुताबिक़ माल मँगा कर वापस करेंगे, उनसे लौटाने का कुल खर्चा लिया जायगा।

१०—कभी कभी ग्राहक जितनी पुस्तकें मँगाते हैं, वे सभी तैयार नहीं रहतीं, इसलिये जितनी पुस्तकें तैयार रहती हैं, वे भेज दी जाती हैं। बाक़ी पुस्तकोंके लिये दुबारा आर्डर मिलने पर, यदि पुस्तकें तैयार रहीं, तो भेज दी जाती हैं। परन्तु प्रत्येक आर्डर में पुस्तकों का नाम खुलासा लिखना चाहिये।