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४—किसी उचित कारण के बिना यदि किसी ग्रन्थ का वी॰ पी॰ वापस आता है, तो उसका डाक खर्च आदि ग्राहक के जिम्मे पड़ता है। वह आगे निकलने वाले ग्रन्थ के वी॰ पी॰ में जोड़ लिया जाता है। यदि वह दूसरा वी॰ पी॰ भी वापस आता है, तो ग्राहक का नाम ग्राहक श्रेणी से अलग कर दिया जाता है।

५—प्रवेश फीस के आठ आने पेशगी म॰ आ॰ से भेजने चाहिये। किसी ग्रन्थ के वी॰ पी॰ में "प्रवेश फीस" नहीं जोड़ी जाती।

६—स्थायी ग्राहक, ग्रन्थमाला के ग्रन्थों की चाहे जितनी प्रतियाँ, चाहे जितनी बार, पौनी कीमत में हीँ मंगा सकते हैं।

७—दस रुपये से अधिक मूल्य की पुस्तकें मँगाने वालों का, प्रत्येक दस रुपये पर एक रुपये के हिसाब से, कुछ रुपये पेशगी भेजने चाहियें।

८—स्थायी ग्राहकों को आर्डर भेजते समय अपना ग्राहक नम्बर लिखना चाहिये।


 

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१—हिन्दी पद्य-रचना—यह हिन्दी भाषा का पिंगल है। इसमें नौसिख पद्य रचयिताओं के काम की, प्रायः सब बातें आ गई हैं। इसे हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने प्रथमा के परीक्षार्थियों के लिये चुना है। मूल्य चार आने।

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