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पजनेस
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गया है। इनकी कविता से जान पड़ता है कि ये संस्कृत और फ़ारसी के भी ज्ञाता थे।

इनका रचा एक हस्तलिखित काव्य-ग्रंथ हिन्दी-साहित्य सम्मेलन के प्रधान मंत्री बाबू पुरुषोत्तमदास टण्डन के पास है। उसके प्रकाशित होने पर इनकी प्रतिभा का अधिक प्रकाश प्रकट होगा।

यहाँ हम इनकी कविता के कुछ उदाहरण उपस्थित करते हैं:—

छहरै छबीली छटा छूटि छितिमण्डल पै
उमग उजेरो महा ओज उजबक सी।
कवि पजनेस फंज मंजुल मुखी के गात
उपमाधिकात कल कुन्दन तबक सी॥
फैली दीप दीप दीप दीपति दिपति जकी
दीपमालिका की रही दीपति दबक सी।
परत न ताब लखि मुख महताब
जब निकसो सिताब आफताब के भभकसी॥१॥
नवला सरूप रूप रावरे रुचिर रूप
रचना बिरंचि कीनी सकुच न लागी है।
भन पजनेस लोल लोयन को लौकौं गोल
गुलफ गोराई लाज सकुचन लागी है॥
सुन्दर सुजान सुखदान प्रीति प्रीतम की
एकौ ना परेख अब सकुचन लागी है।
औधक उचन लागी कंचुकी रुचन लागी
सकुचन लागी भाली सकुचन लागी है॥२॥