ग्वाल
ग्वाल बन्दीजन सेवाराम के पुत्र थे, और मथुरा में रहते थे। इनके जन्म मरण का ठीक ठीक समय का अभी तक पता नहीँ चला सं॰ १८७९ में इन्होंने यमुना लहरी बनाई। यह पदमाकर कृत गंगा लहरी के जोड़ की है। इनके रचे हुये और भी निम्न लिखित ग्रन्थ सुने जाते हैं:—
नख शिख, गोपीपचीसी, साहित्य दूषण, साहित्य दर्पण, भक्ति भाव, शृंगार दोहा, शृंगार कवित्त, रस रङ्ग, अलंकार, हमीर हठ, कवि हृदय विनोद, रसिकानन्द, राधा माधव मिलन और राधाष्टक।
प्रयाग के भारती भवन में मैंने इनके दो ग्रन्थ, यमुना लहरी और कवि हृदय विनोद देखे हैं।
इनकी कविता चमत्कार पूर्ण होती थी। कवि हृदय विनोद से मालूम होता है कि इन्हें कई भाषाओं का ज्ञान था, जिसे देशाटन द्वारा इन्होंने प्राप्त किया होगा।
यहाँ इनकी कविता के कुछ उदाहरण उपस्थित किये जाते हैं:—
गीधे गीध तारि कै सुतारि कै उतारि कै जू धारि कै
हिये मैं निज बात जटि जायगी। तारि कै अवधि करी अवधि
सुतारिबे की विपति विदारिबे की फाँस कटि जायगी॥
ग्वाल कवि सहज न तारिबो हमारो गिनो कठिन परैगी पाप
पाँति पटि जायगी। यातें जो न तारिहौ तुम्हारी सौंह रघु-
नाथ अधम उधारिबे की साख घटि जायगी॥१॥
- राम घनश्याम के न नाम तें उबारे कभूँ काम वश ह्वै