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कविता-कौमुदी
 

ने इनको अरबी फ़ारसी का आलिम फ़ाज़िल और भाषा कविता में बड़ा निपुण बताया है। इनकी कविता के कछु नमूने नीचे दिये जाते हैं:—

मुख ससि निरखि चकोर अरु तन पानप लखि मीन।
पद पंकज देखत भँवर होत नयन रसलीन॥१॥
धरति न चौकी नग जरी यातें उर में लाइ।
छाँह परे पर पुरुष की जिन तिय धरमं नसाइ॥२॥
चख चलि श्रवन मिल्यो चहत कच बढ़ि छुवन छवानि।
कटि निज दरब धरयो चहत वक्षस्थल में आनि॥३॥
सौतिन मुख निसि कमलभो पिय चख भये चकोर।
गुरु जन मन सागर भये लखि दुलहिनि मुख ओर॥४॥
रमनी मन पावत नहीं लाज प्रीति को अंत।
दुहूँ ओर ऐंचो रहै ज्यों बिबि तिय को कंत॥५॥
लिखि विरंचि राख्यो हुतौ यह सँयोग इक संग।
कुच उतंग तिय उर चढ़ै पिय उर चढ़ै अनंग॥६॥
यों तिय नैननि लाज ज्यों लसत काम के भाय।
मिल्यो सलिल में नेह ज्यों ऊपर ही दरसाय॥७॥
मुकुत भये घर खोय कै कानन बैठे जाय।
घर खोवत हैं और को कीजै कौन उपाय॥८॥