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कांडांक छन्दांक पृष्ठांक उ० ११८५ २६० १५१ भौंह कमान सँधान सुठान १८३ बा० २१ १८८ २१ ० ४४ बा० १० उ०१३६ १२८ १० २८१ C60 १ १११ २५३ ११८ लं० ५२ मंगल की रासि, परमारथ को खानि, जानि भख राखिबे के काज राजा मेरे संग दये मत्त भट-मुकुट-दसकंध-साहस-सइल- मयनमहन पुर-दहन गृहन जानि मरकत-बरन परन, फल मानिक से महाबली बालि दलि, कायर सुकंठ कपि महाराज बलि जाउँ मातु पिता जग जाय तज्यो मानी मेघनाद सो प्रचार भिरे भारी भट मारग मारि, महीसुर मारि मारे रन रातिचर रावन सकुल दल माली मेघमाल, बनपाल बिकराल भट मीत पुनीत कियो कपि भालु को मीत बालि-बंधु, पूत, दून, दसकंध-बंधु मुख पंकज, कंज बिलोचन मंजु मेरे जाति पाँति न, चही काहू की जाति पाँति मेरे जानि जब हौं जीव है जनम्यों जग मोह-बन कलिमल-पल-पीन आनि जिय मोह-मद-मात्यो, रात्यो कुमति-कुनारि सों १८७ ३२१ १४२ ५४ Thd m " २२ अ० २५ उ० १०७ १०२ २८ १४५ " २४८ २१२ २८४ १२५ " ८२ ३१५ १५३ लं० १७५ लं० ३६ उ० ६६ १२० रचत विरंचि, हरि पालत, हरत हर रजनीचर मत्तगयद-घटा राम को न साज, न बिराग जोग जाग जिय राज मराल के बालक पेलि के राज सुरेस पचासक को रानी अकुलानी सब डाढ़त परानी जाहिं रानी मैं जानी अजानी महा २०५ २४५ .१८७ १२३ १४४ ११३ सुं०. १२ अ. २० C