यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(५)
(क) ‘ध्रू (ध्रुव)’

राजा उत्तानपाद की हो स्त्रियाँ थीं, एक सुनीति और दूसरी सुरुचि। सुनीति का लड़का ध्रुव और सुरुचि का लड़का उत्तम था। राजा की सुरुचि पर अधिक प्रीति थी। एक बेर उत्तम राजा की गोद में बैठा था कि ध्रुव भी खेलते-खेलते राजा की गोद में चढ़ने लगा। राजा ने गोद में न चढ़ाया बल्कि सुरुचि ने ताना देकर कहा कि ध्रुव! तुम मेरे गर्भ से उत्पन्न नहीं हो इसलिए तुम गोद में नहीं चढ़ सकते। ध्रुव को ग्लानि आई और वे अपनी मा के पास गये और सब कथा कह सुनाई। माता से आज्ञा लेकर ध्रुव तप करने चले गये। मार्ग में नारद मिले और उन्होंने ध्रुव को इस मार्ग से हटाने का प्रयत्न किया। जब ध्रुव ने न माना और त्रिलोकी पद जीतने के मार्ग को जानने की इच्छा प्रकट की तो उन्होंने द्वादश-अक्षर मन्त्र ध्रुव को सिखाया और मथुरा भेजा। ध्रुव मथुरा जाकर तप करने लगे। ध्रुव का तप देखकर देवता घबरा गये और विष्णु की शरण में गये। विष्णु ने उन्हें तो घर भेजा और स्वयं ध्रुव को दर्शन देकर वरदान दिया जिससे ध्रव को ऐसा दुर्लभ पद मिला जहाँ आज तक कोई नहीं पहुँँचा था। वह ३६००० वर्ष राज्य कर अचल-पद को प्राप्त हुआ।
१०—राम विहाय ‘मरा’ जपते बिगरी सुधरी कवि-कोकिल हू की। (उत्तर० छं० २३१)

यहाँ वाल्मीकि मुनि की कथा का इङ्गित है। वाल्मीकि मुनि सदा चोरों में रहा करते थे और पथिकों को मारकर उनको लूटा करते थे। एक दिन सप्तर्षि उन्हें वन में मिले और जब वें उन्हें लूटने और मारने को उद्यत हुए तो उन्होंने पूछा कि ऐसा नीच कर्म वे क्यों करते हैं। इस पर वाल्मीकि ने उत्तर दिया कि स्त्री और लड़कों के पोषण के लिए। तब सप्तर्षियों ने वहीं खड़े रहने का वचन देकर वाल्मीकि को भेजा कि जाकर स्त्री-पुत्रों से पूछ आवें कि वे जीवहत्या के पाप के भी भाग में उनके साथी होंगे। वाल्मीकि ने ऐसा ही किया तब सबने एक ही उत्तर दिया कि हमको तो धन से काम है, कहीं से वे लावें, पाप से हमें क्या प्रयोजन? इस पर वाल्मीकि को वैराग्य हुआ और वे धनुष-बाण फेंककर सप्तर्षियों के चरणों पर गिर पड़े। सप्तर्षियो ने ‘मरा-मरा’ जपने का उपदेश किया। उन्होंने ऐसा ही किया और वहीं उनको दिव्य दर्शन हुए।
११—नामहि ते गज की, गनिका को, अजामिल को चलिगै चलचूकी।(उत्तर० छं० २३१)

(अ) ‘गज’

क्षीर-सागर में त्रिकूट पर्वत पर, वरुण के उद्यान में, एक कमल और कुमुदिनी से भरा हुमा सरोवर है। उस पर एक बेर एक हाथी अपने झुण्ड के साथ आया और पानी पीकर तथा स्नान करके अपने साथियों को भी पानी पिलाने लगा। इतने में एक