है। मान लीजिए, एक लीची का फल चित्रित करना है। वैसे तो पके हुए बड़े लाल बैर का रंग और आकार भी लीची-सा ही होता है। इसमें अन्तर केवल ऊपरी स्तर की बनावट में होता है। यदि चित्र में भी लीची का कांटेदार स्तर न बनाया जाय तो उसे पहचानना कठिन हो जायगा। इसी प्रकार बहुत-सी वस्तुओं के ऊपरी स्तर की बनावट एक दूसरे से बिलकुल भिन्न होती है। इसलिए वस्तुओं को सही रूप में चित्रित करने के लिए चित्रकार को इसके ऊपरी स्तर का पूर्ण ज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक है।
चित्र या वस्तुओं में ऊपरी स्तर की बनावट केवल उन्हें पहचानने में ही सहायता नहीं देती, वरन् उनको देखने से मनुष्य के मनोभावों पर भी भिन्न-भिन्न प्रभाव पड़ता है। कभी-कभी तेल की सतह देखने से मन में किचकिचाहट-सी उत्पन्न होती है। एक सुन्दर सुकुमार बालक की कोमल देह की कोमलता को देखकर एक युवती की त्वचा को देखकर और एक मल्ल के गठे हुए शरीर की त्वचा को देखकर मन में भिन्न-भिन्न भाव उत्पन्न होते हैं। संगमरमर के धवल चिकने को देख-कर और झाँवा पत्थर की ऊपरी सतह को भी देखकर मनमें भिन्न-भिन्न भाव उत्पन्न होते हैं। इसलिए वस्तुओं के ऊपरी स्तर की बनावट का भी चित्र में विशेष महत्त्व है।
प्रकृति की प्रत्येक वस्तु में विभिन्न प्रकार के ऊपरी स्तर दिखाई पड़ते हैं। यदि ऐसा न होता तो संभवतः विभिन्न वस्तुएँ उतनी रुचिकर न जान पड़तीं। एक अच्छे चित्र में भी वस्तुओं के ऊपरी सतह में पर्याप्त विभिन्नता होनी चाहिए। इससे चित्र में रुचि और अधिक बढ़ जाती है।
यह हमें प्रारम्भ से ही जान लेना चाहिए कि वस्तुओं में ऊपरी स्तर की बनावट विभिन्न प्रकार की होती है। जब भी हम किसी वस्तु को देखें या उसका निरीक्षण करें तब हमें उसके ऊपरी स्तर का भलीभाँति निरीक्षण कर लेना चाहिए। केवल उसे देख लेने से ही काम न चलेगा। वस्तुओं के ऊपरी स्तर की विभिन्न रचनाओं के ज्ञान के लिए उन्हें छुकर उनके विषय में जानना आवश्यक है। यदि वह संभव हो तो, बच्चों में यह बात आरंभ से ही होती है। एक वर्ष से कम उम्र का शिशु भी किसी भी नयी वस्तु को देखकर उसे छूना चाहता है। उसका तात्पर्य यही होता है कि वह विभिन्न वस्तुओं की ऊपरी बनावट को भी पहचानना चाहता है। प्रत्येक चित्रकला के नये विद्यार्थी को वस्तुओं के ऊपरी स्तर का ज्ञान करने के लिए चाहिए कि जब भी वे कोई वस्तु देखें या उसका अध्ययन करें तो उसे छूकर अच्छी तरह जान लें, ताकि वे उस ज्ञान को अपने चित्र में भी अंकित कर सकें।