उनकी रुचि का रंग है और वह रंग चित्र में फबता भी है। इसी प्रकार रुचि पर निर्भर उनकी रुचि का रंग है और वह रंग चित्र में फबता भी है। इसी प्रकार रुचि पर निर्भर रहनेवाले प्रत्येक रंग का प्रयोग चलता रहा। परिणाम यह हुआ कि आज जब चित्र-कला का विद्यार्थी चित्रकारी प्रारम्भ करने बैठता है तो वह बड़ी कठिनाई में पड़ता है कि उसके सामने रंग प्रयोग के कोई स्थिर सिद्धान्त नहीं हैं।
पर आज चित्रकला का विद्यार्थी आँख मूँदकर काम नहीं करना चाहता। वह कला के सिद्धान्तों का अध्ययन कर चित्रालेखन करना चाहता है जिससे वह उनमें नवीनता ला सके और दूसरों को एक उचित मार्ग दिखा सके। चित्रकला अब एक रहस्यपूर्ण कला न रहकर वैज्ञानिक ढंग से चलना चाहती है जिससे सभी उसके मार्मिक सिद्धान्तों तथा उसके सौन्दर्य का आनन्द ले सकें।
अब तक भारतीय भाषाओं में चित्रकला का वैज्ञानिक तथा मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से बहुत कम विश्लेषण हो पाया है। पुराणों में भी तत्सम्बन्धी वर्णनों का अभाव है, वे उनके विषय में कुछ थोड़ा ही कहकर चलते बने हैं। आज इन सब कारणों से चित्र-कला के विद्यार्थी के सामने अध्ययन करने में अनेकों कठिनाइयाँ हैं। जो विद्यार्थी आँख खोलकर वैज्ञानिक ढंग से चित्र-विद्या का अध्ययन करना चाहते हैं उन्हें यह एक नये विषय की भाँति जान पड़ती है। फिर भी सिद्धान्तों में इतना विरोध तथा उनकी इतनी कमी होने पर भी कला के नवीन विद्यार्थी जिज्ञासु की भाँति आगे बढ़ रहे हैं और इस प्रकार की खोज में अग्रसर हो रहे हैं।
अभी तक रंग के महत्त्व और उसकी सीमा के विषय में बहुत ही कम खोज भारत में हो पायी है। अभी तक अजन्ता के रंगों का लोग पता नहीं लगा सके कि वे कौन रंग हैं और कैसे बनाये गये हैं, जो इतने वर्ष बीत चुकने पर भी वज्रलेप के समान बिलकुल नवीन प्रतीत हो रहे हैं। किन सिद्धान्तों पर वहाँ रंग का प्रयोग हुआ है इसका पता अब कुछ चलने लगा है। आधुनिक भारतीय चित्रकारों में रंग पर खोज करनेवाले डा० अवनीन्द्रनाथ ठाकुर, श्री नन्दलाल बोस, श्री यामिनी राय तथा अमृतशेर-गिल के ही नाम सामने आते हैं। इनमें रंग पर सबसे अधिक अध्ययन अमृतशेर-गिल का समझा जाता है। अमृतशेर-गिल की खोज चाहे कैसा भी महत्त्व क्यों न रखती हो, उनके सभी चित्रों में रंग की महत्ता का स्पष्ट दर्शन होता है। उनके रंग-सिद्धान्त के विषय में हम विशेप नहीं लिखेंगे, परन्तु ऐसा जान पड़ता है कि उन्होंने वैज्ञानिक तथा मनोवैज्ञानिक दोनों ही ढंगों से रंगों का प्रयोग और अध्ययन किया है। यामिनी राय ने रंगों के सरलतम प्रयोग ही किये हैं, इसलिए उनके चित्रों में सरलता तो है पर गम्भीरता का प्रभाव है। उन्होंने कुछ चुने-चुनाये रंगों का ही प्रयोग किया है पर बड़ी ही सावधानी और