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चित्रकला

जगाता है, बलवर्धक है नवशक्ति-संचारक होता है। इस रंग से न तो मन में बहुत घबराहट ही पैदा होती है और न दिल की सुस्ती ही देखने को मिलती है। इसलिए यह रंग शान्ति का द्योतक है। शीत प्रकृति का रंग होने से शरीर तथा मन की चंचलता और बेचैनी को दूर भगाता है। मन की गर्मी तथा शारीरिक ताप ज्वरादि को कम करता है। अधिक परिश्रम करनेवाले व्यक्तियों की आत्मा को इस रंग से आराम मिलता है। जो लोग हरा रंग पसन्द करते हैं उनमें स्वत्व की मात्रा बहुत अधिक होती है। हरा रंग अधिक देखने से या इस रंग की चित्र में बहुलता होने से मन में शक्ति, कल्पना, खोज, नये विचार, सूक्ष्मता का मूल्य समझने की शक्ति, अपनापन तथा समृद्धि की वृद्धि होती है। हरा रंग अधिकांश जनता के पसन्द का रंग है। यह लुभानेवाला, मन को स्वच्छ करने- वाला होता है। पर गन्दे हरे रंग का प्रभाव डाह, शत्रुता तथा स्वार्थपरता बताता है।

अब बारी आती है नीले रंग की। यह रंग भी मन को पारलौकिकता की और ले जाता है। यह स्वच्छ, शीतल तथा शुद्ध होता है। यह रंग सत्य का द्योतक है। इसके भी दर्शन से गन्दगी, रोग, कलुषता मिट जाती हैं। इस रंग का प्रभाव बिजली या चुम्बक जैसा होता है और मन के अन्धकार को दूर करता है। यह शान्ति, अहिंसा, कल्पना तथा गूढ़ तत्त्वों के निर्देशन की गवेषणात्मक शक्ति प्रदान करता है। अन्तःकरण में इस रंग का सुखद-शीतल और शान्तिप्रद प्रभाव पड़ता है। यह हमें एकाग्रता, विचार-शीलता, अभिनव कल्पना और मौलिक रचना की ओर प्रेरित करता है। परन्तु मध्यम श्रेणी के नीले रंग का प्रभाव इसके विपरीत ही होता है।

लाल, पीला, हरा, नीला के अलावा एक और रंग है, जो बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। वह है बैंगनी रंग। यह रंग अपने में जादू का-सा असर रखता है। यह रहस्यमय तथा धार्मिक बलिदान की प्रवृत्ति पैदा करता है। यह काल्पनिक तथा स्वप्निल भावों को जगाता है। मन पर इसका प्रभाव धुधलापन, भावनाओं की दृढ़ता प्रदान करनेवाला तथा सांसारिकता से ऊपर उठानेवाला होता है। इसका प्रयोग सद्वृत्तियों के प्रकाशनार्थ किया जाय तो यह मन को सत्य, उच्चतम आदर्श तथा मर्यादा की चरम सीमा की ओर अग्रसर करता है। यह मनुष्य को माया-मोहरहित, निश्चेष्ट, क्षणभंगुर तथा निस्सारोन्मुख करता है। यह मन में एकता का भाव उत्पन्न करता तथा प्रात्मा को विशुद्ध ज्ञान की ओर प्रेरित करता है। प्राचीन काल में यह रंग धैर्य तथा बलिदान के निमित्त प्रयुक्त होता था और प्रायश्चित्त तथा तप का प्रतीक समझा जाता था। उस समय यह रंग कठिनाई से तैयार होता था, अतः यह कीमती रंग समझा जाता था और इसका प्रयोग दरबारों के