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कलाकार का व्यक्तित्व

हैं। परिणाम यह है कि आज का कलाकार केवल वह है जो रंगों से चित्र बना सकता है, गले से गा सकता है या मिट्टी के पुतले बना सकता है।

आधुनिक भारत में अभी ऐसे बहुत से कलाकार हैं। आधुनिक अग्रोन्मुख भारत के उत्थान में इनका क्या योग हो सकता है, यह विचारणीय है। आज हमें चित्रकार या गानेवाले तथा नाचनेवाले युवक नहीं चाहिए बल्कि ऐसे कलाकार चाहिए जिन्होंने सुन्दर जीवन की कल्पना की है और जो भारतीय समाज को सुन्दरता प्रदान कर सकते हैं, जो अपनी कला के आधार पर एक सुन्दर, सुदृढ़, प्रगतिशील भारत की कल्पना कर सकते हैं जो मस्तिष्क, हृदय तथा शरीर के गुणों से सम्पन्न हैं।