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आधुनिक समाज में कला और कलाकार

कार निराश होकर कला का कार्य करना नहीं छोड़ देता, बल्कि कला का कार्य फिर भी करता जाता है और उसका आनन्द अब स्वयं लेता है । उसे समाज से प्रशंसा की आशा नहीं रहती । ऐसे समय जब उससे कोई कुछ पूछता है तो वह यह न कहकर कि वह समाज के लिए कला की रचना करता है; कहता है कि वह अपनी रचना कला के लिए करता है, अर्थात् उसे उसमें मजा आता है इसलिए करता है । वह ऐसा दूसरों को दिखाने के लिए नहीं करता । ठीक भी है उसका ऐसा कहना, क्योंकि अगर वह कहे कि वह अपनी रचना समाज के लिए करता है तो लोग कहेंगे कि समाज तो उसकी रचना को समझ ही नहीं पाता, न उसका कोई आनन्द ही ले पाता है, तब कैसे वह कहता है कि वह अपनी रचना समाज के लिए करता है ? इसीलिए कलाकार यही कहना उचित और हितकर समझता है कि 'कला कला के लिए है ।'

एक बार किसी गाँव का एक धनी व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ पहली बार शहर घूमने आया । बाजार में एक दूकान पर बड़ी भीड़ लगी थी और तरह तरह के स्त्री-पुरुषों की तस्वीरें टँगी थीं । दोनों वहीं रुक गये और यह जानने का प्रयत्न करने लगे कि आखिर माजरा क्या है । एक अन्य देहाती को दुकान से बाहर निकलते हुए देखकर अपनी भाषा में उससे पूछा-"का गुरू, काहे क भीड़ लागल बा ?" बाहर निकलते हुए देहाती ने अपनी तथा अपनी स्त्री का फोटो दिखाकर कहा-"गुरू देखा, कैसन निम्मन बनौलेस हौ ।" हमारे देहाती की स्त्री इन चित्रों को देखकर अपना फोटो खिचवाने के लिए मचल पड़ी । दोनों दुकान में गये और फोटो खिंचवाया । फोटो जब हाथ में आया तो सज्जन अपनी स्त्री का चित्र देखकर बड़े प्रसन्न हुए, पर जब स्त्री ने अपने पतिदेव का चित्र देखा तो उसे बड़ा अचम्भा हुआ । पतिदेव की एक आँख का चित्र में नाम-निशान न था । स्त्री ने पति के कान में कुछ कहा । पति ने मारे नाराजगी के चित्र दुकान पर पटक दिया और कहा "मखोल करत हौवा महराज ?" वह डंडा सम्हाल ही रहा था कि दुकानवाले ने हाथ-पैर जोड़कर उन्हें किसी तरह बिदा किया । समाज के इस देहाती का फोटोग्राफर ख्याल नहीं कर सका क्योंकि उसने इस देहाती का फोटो ऐसा खींचा था जिसमें केवल एक ही आँख दिखाई पड़ती थी । परन्तु बेचारे देहाती ने तो यही समझा कि फोटोग्राफर ने उसे काना बना दिया । फोटोग्राफर का चित्र, उसकी मेहनत, उसकी कला सब बेकार हो गयी; क्योंकि समाज के देहाती को वह खुश न कर सका ।

इसी प्रकार एक बार विश्वविख्यात डच कलाकार रेम्ब्रां को खेलाड़ियों की किसी टोली ने अपना ग्रूप चित्रित कराने के लिए आर्डर दिया । कुछ दिन बाद जब चित्र तैयार हुआ तो खेलाड़ियों को वह चित्र पसंद न आया । कारण यह था कि रेम्ब्रां अपने चित्रों में छाया तथा प्रकाश का प्रयोग अधिक करता था । प्रकाश को कहीं-कहीं डालकर चित्र के