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कला और आधुनिक प्रवृत्तियाँ

कहूँ क्या ? "वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है ।" या तो तूफान का सामना कीजिए या इस तूफान की ताकत का बुद्धि से मानवता के लिए प्रयोग कीजिए । दूसरा रास्ता नहीं ।

इस तूफान का तात्पर्य क्या है ? यह क्यों है ? कहाँ से आया ? कहाँ हमें ले जायगा? क्या यह घातक है ? यही है आज की कला के सम्मुख एक प्रश्न !