वैज्ञानिक प्रवृत्ति
चित्रकला का सम्बन्ध विज्ञान से भी हो सकता है, ऐसा कदाचित् चित्रकारों से कभी सुनने को नहीं मिला। विज्ञान और चित्रकला दोनों एक-दूसरे से सदैव दूर रखे गये हैं। विज्ञान का सम्बन्ध मस्तिष्क से है और चित्रकला (कला) का सम्बन्ध हृदय से है। इसलिए इन दोनों को सदा लोगों ने एक-दूसरे से पृथक् ही रखा। जो व्यक्ति वैज्ञानिक अन्वेषण में लगे हैं, उन्हें लोग कलाक्षेत्र से परे और हृदय के गुणों से अनभिज्ञ समझते हैं। वैज्ञानिकों में मस्तिष्क के गुण दिखाई पड़ते हैं, तो कलाकारों में हृदय के गुण।
वैज्ञानिक का कार्य सृष्टि के मूलों को समझना है और चित्रकार या कलाकार सृष्टिकारक समझा जाता है। यदि यह तथ्य सत्य है तो भी यह समझ में नहीं आता कि बिना सृष्टि के सिद्धान्तों को समझे कोई सृष्टि कर ही कैसे सकता है। सृष्टि करने के पूर्व सृष्टि के मूलों को समझना अत्यन्त आवश्यक है और यदि चित्रकार अपने को सृष्टिकारक समझता है, तो उसके लिए सृष्टि के मूल सिद्धान्तों का अन्वेषण उतना ही आवश्यक है जितना वैज्ञानिक के लिए। इसलिए यह निर्विवाद सिद्ध है कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण रहित कोई चित्रकार सृजनकार या कलाकार नहीं बन सकता। इस प्रकार वैज्ञानिक भी एक कलाकार है, और कलाकार के लिए वैज्ञानिक होना भी आवश्यक है। यूरोप के विख्यात चित्रकार लियोनार्डो दा विन्शी का नाम किसने नहीं सुना होगा। अपने समय में (१५वीं शताब्दी में) जब कि विज्ञान का आरम्भ था और वायुयान, जलपोत, रेडियो एवं आधुनिक यन्त्रों तथा युद्ध सामग्रियों की उत्पत्ति नहीं हो सकी थी, चित्रकार होते हुए भी उसने ऐसे यन्त्रों, मशीनों, शस्त्रों के चित्र बनाये जिनको देखकर आज के वैज्ञानिक भी दाँतों तले उँगली दबाते हैं। वायुयान की कल्पना लियोनार्डो ने अपने चित्रों में की। तत्पश्चात् वायुयान बने। वायुयान बनाते समय वैज्ञानिकों को लियोनार्डो के इन चित्रों को भी देखना पड़ा होगा। आज यदि लियोनार्डो को संसार सर्वश्रेष्ठ चित्रकारों में स्थान देता है तो उसको एक महान् वैज्ञानिक भी समझता है। लियोनार्डो स्वयं कहता था कि वह चित्रकार ही नहीं हो सकता जो विज्ञान और गणितशास्त्र का ज्ञाता न हो।