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रेनाल्ड्स
 


के कारण मोहक होती है। बच्चे उसकी चित्रशाला मैं आते तो उनकी चेष्टाओं को वह बड़े ध्यान से देखा करता और जब वह मारे खुशी के फूल उठते और चित्रों की भाव-भंगी का अनुकरण करने लगते तो इस दृश्य से उसे बड़ा आनन्द मिलता। अपने एक संस्मरण में वह लिखता हैं, "मेरी समझ में नहीं आता कि अनभिज्ञ (अधिकारी ?) व्यक्ति का मन चित्रों के विषय में क्यों ने स्वीकार किया जाय। जैसे अगर कोई साधारण आदमी किसी चित्र को देखकर कहे कि इसका आधा चेहरा क्यों स्याह है या नाक के नीचे काला धब्बा क्यों है, तो मैं यह नतीजा निकाल लूंगा कि रंग गहरा हो गया है या अच्छी तरह साफ नहीं किया गया। अगर यह रंग प्रकृति के अनरूप होते तो किसी का ध्यान उनकी ओर न जाता।

रेनाल्ड्स की ख्याति दिन दिन बढ़ती जाती थी। १७८५ ई० मैं रूस की सुप्रसिद्ध महारानी केथराईन ने उससे एक तसवीर की फरमाइश की। महीनों के सोच-विचार के बाद उसने एक ऐसा विषय चुना जो कल्पना और रोचकता की दृष्टि से साधारण है। महारानी केथराईन संकल्प और विचारों की दृढ़ता में अपना सानी न रखती थीं। इतिहास इसका गवाह है। इसलिए रेनाल्ड्स ने शिशु हरक्युलीज को दो साँपों का गला घोंटते हुए दिखाया। यद्यपि केथराईन को ऐसी जटिल कल्पना के समझने की बुद्धि न थी, फिर भी उसने दिल खोलकर क़द्रदानी की। ५०० पौंड पुरस्कार और एक सोने की सन्दूकची, जिसमें उसका चित्र था, उपहाररूप में भेजी।

उन्हीं दिनों इंगलैण्ड के एक मनचले प्रकाशक ने शेक्सपियर की रचनाओं के सचित्र संस्करण निकालने का विचार किया। रेनाल्ड्स ‘ने उसके लिए तीन चित्र बनाये। पहला चित्र उस हास्यावतार का हैं जिसका नाम अंग्रेजी साहित्य में दृष्टान्त बन गया है। पिक एक बहुत ही चपल चुलबुले स्वभाव का विदूषक है, जो रँगीले बादशाह आठवें हेनरी का सखा है। रेनल्ड्स ने इस चित्र में सचमुच करामात कर दी है। उसका हाथ कोई शरारत-भरी चेष्टा करने को उद्यत दिखाई