बड़ा आदर था। पोप को जब काव्य-रचना से अवकाश मिलती तो
चित्रकारी किया करते। हाथ के एक पंखे पर उन्होंने एक यूनानी
कहानी को ज़री के तारों से चित्रित किया था। यह पर बाजार में
नीलाम होने के लिए आया। रेनाल्ड्स को इसकी खबर मिली ताँ
इसने एक आदमी भेज दिया कि वह ० पौंड तक बोली बोलकर इस
दुष्प्राप्य वस्तु को खरीद ले। मगर यह हजरत ३० शिलिङ्ग से अब
न बढे़। आखिर एक दूसरे खरीदार ने उसे दो पौड पर ले लिया।
रेनाल्ड्स को इस पंखे का इतना शौक़ था कि उसने दुना दाम देकर
इसे नये खरीदार से खरीद लिया।
एक दावत के मौके पर जानसन, अर्क, गैरिक, गोल्डस्मिथ सब जमा थे। आपस में खुशगप हो रही थी। अकस्मात किसी ने कहा-- आओ, एक दूसरे को मृत्यु का कुतबा कहे; पर शर्त यह है कि वह आशुरचना हो। इस पर लोगों ने अपना-अपनी कवित्व दिखाना आरंभ किया। गैरिक को शरारत जो सूझी तो व्यंग्यक्ति के कुछ पञ्च कहे, जिनमें गोल्डस्मिथ की खबर ली गई थी। गोल्डस्मिथ को यह शरारत बहुत बुरी लगी। इसके जवाब में उन्होंने 'बदला' नाम से एक जोरदार कविता लिखी। दुःख है कि इस जन्मसिद्ध कवि की यही अन्तिम रचना थी। ऐसा वेपरचाह, ऐसा मस्त स्वभाव का और देसी सुन्दर कल्पनावाला कवि अंग्रेजी भाषा में फिर से उत्पन्न हुआ। यह लोकोत्तर प्रतिभा जिस देह में छिपी थी, वह कुछ अधिक सुन्दर न थी। रेनोल्ड्स ने गोल्डस्मिथ को जो चित्र खींचा है, उसमें वह बहुत ही कमजोर दिखाई देता है। पर उसकी बहन का कहना है कि रेनाल्ड्स ने जितनी चापलूसी इस चित्र के बनाने में खर्च की, उतनी और किसी चित्र में नहीं की। रूप और गुण में अन्तर होना असाधारण बात नहीं हैं।
१७७२ ई० में रेनाल्डस ने, उगोलीनो (ugolino) का चित्र बनाया। यह इटली के सुप्रसिद्ध कवि दान्ते की एक रचना का नायक है। पर रेनाल्ड्स जैसा चित्रकार, जो रमणियों के होठ और भी को