यह पृष्ठ प्रमाणित है।

हूँ। मेरा प्यारा भाई जेल में है, मेरी प्यारी भावज जेल में है, मेरा सोने-सा भतीजा जेल में है, आज मेरे पिताजी भी वहीं पहुँच गये।'

जनता की ओर से आवाज़ आयी---रेणुका देवी भी!

'हाँ, रेणुका देवी भी, जो मेरी माता के तुल्य थीं। लड़की के लिए वही मैका है, जहाँ उसके माँ-बाप, भाई-भावज रहें। और लड़की को मैका जितना प्यारा होता है, उतनी ससुराल नहीं होती। सज्जनों, इस ज़मीन के कई टुकड़े मेरे ससुरजी ने खरीदे हैं। मुझे विश्वास है, मै आग्रह करूँ, तो वह यहाँ अमीरों के बँगले न बनवा कर गरीबों के घर बनवा देंगे; लेकिन हमारा उद्देश्य यह नहीं है। हमारी लड़ाई इस बात पर है कि जिस नगर में आधे से ज्यादा आबादी गन्दे बिलों में मर रही हो, उसे कोई अधिकार नहीं है कि महलों और बँगलों के लिए ज़मीन बेचे। आपने देखा था, यहाँ कई हरे-भरे गाँव थे। म्युनिसिपैलिटी ने नगर-निर्माण-संघ बनाया। गांव के किसानों की जमीन कौड़ियों के दाम छीन ली गयी, और आज वही ज़मीन अशर्फियों के दाम बिक रही है, इसलिए कि बड़े आदमियों के बँगले बनें। हम अपने नगर के विधाताओं से पूछते हैं, क्या अमीरों हो के जान होती है? गरीबों के जान नहीं होती? अमीरों ही को तन्दुरुस्त रहना चाहिए। गरीबों को तन्दुरुस्ती की जरूरत नहीं? अब जनता इस तरह मरने को तैयार नहीं है। अगर मरना ही है तो इस मैदान में, खुले आकाश के नीचे, चन्द्रमा के शीतल प्रकाश में मरना बिलों में मरने से कहीं अच्छा है! लेकिन पहले हमें नगर-विधाताओं से एक बार और पूछ लेना है, कि वह अब भी हमारा निवेदन स्वीकार करेंगे,या नहीं। अब भी इस सिद्धान्त को मानेंगे, या नहीं। अगर उन्हें घमण्ड हो कि हथियार के जोर से गरीबों को कुचलकर उनकी आवाज बन्द कर सकते हैं तो यह उनकी भूल है। गरीबों का रक्त जहाँ गिरता है, वहाँ हरेक बूंँद की जगह एक-एक आदमी उत्पन्न हो जाता है। अगर इस वक्त नगर-विधाताओं ने गरीबों की आवाज़ सुन ली, तो उन्हें सेंत का यश मिलेगा; क्योंकि गरीब बहुत दिनों गरीब नहीं रहेंगे और वह ज़माना दूर नहीं है, जब ग़रीबों के हाथ में शक्ति होगी। विप्लव के जन्तु को छेड़-छेड़कर न जगाओ। उसे जितना ही छेड़ोगे, उतना ही झल्लायेगा और जब वह उठकर जम्हाई लेगा और जोर से दहाड़ेगा, तो फिर तुम्हें भागने

कर्मभूमि
३८९