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कर्बला

सादगी से ज़िन्दगी बसर करते थे। आपको पहले ख़लीफ़ा का हाल मालूम है, हज़रत फ़ारूक के हालात से भी आप वाक़िफ़ हैं। अफ़सोस! आप उस उसूल को भूल गये, जो तवहीद के बाद इस्लाम का सबसे पाक उसूल है, वरना आप वसीक़ों और जागीरों के जाल में न फँस जाते। अापने एक पल के लिए भी ख़याल नहीं किया कि वे ज़ागीरें और वसीक़े किसके घर से आयेंगे। दूसरों से, जो कई पुश्तों से अपनी ज़मीन पर क़ाबिज़ हैं, वे ज़मीनें छीनकर अापको दी जायँगी। दूसरों से जबरन् रुपए वसूल करके आपको वसीक़े दिये जायँगे। आपको ख़ुश करने के लिए दूसरों को तबाह करने का बहाना हाथ आ जायगा। आप अपने भाइयों के हक़ छीनकर अपनी हवस की प्यास बुझाना चाहते हैं। यह दीन-परवरी नहीं है, यह भाई-बंदी नहीं है, इसका कुछ और ही नाम है।

कई आवाजें---नहीं-नहीं, हम हराम का माल नहीं चाहते।

मु॰---मैं यज़ीद का दुश्मन नहीं हूँ, मैं ज़ियाद का दुश्मन नहीं हूँ; मैं इस्लाम का दोस्त हूँ। जो आदमी इस्लाम को पैरों से कुचलता है, चाहे वह यज़ीद हो, ज़ियाद हो, या ख़ुद हुसैन हो, उसका दुश्मन हूँ। जो शख़्स कुरान की और रसूल की तौहीन करता है, वह मेरा दुश्मन है।

कई आ॰---हम भी उसके दुश्मन हैं। वह मुसलमान नहीं, काफ़िर है।

मु॰---बेशक, और कोई मुसलमान---अगर वह मुसलमान है, काफ़िर को ख़लीफ़ा न तस्लीम करेगा, चाहे वह उसका दामन हीरे व जवाहिर से भर दे।

कई आ॰---बेशक, बेशक।

मु॰---उससे एक सच्चा दीनदार आदमी कहीं अच्छा ख़लीफ़ा होगा, चाहे वह चिथड़े ही पहने हुए हो।

कई आ॰---बेशक, बेशक।

मु॰---तो आप तस्लीम करते हैं कि ख़लीफ़ा उसे होना चाहिए, जो इस्लाम का सच्चा पैरो हो। वह नहीं, जो एक का घर लूटकर दूसरे का दिल भरता हो।

कई आ॰--–बेशक, बेशक।