करता है। तुम्हारी नरमी कमजारों की नरमी नहीं होनी चाहिए, जिसे खुशामद कहते हैं। उसमें हुकूमत की शान क़ायम रहनी चाहिए। बस, जानो।
[ ज़ियाद शरीक और क़ासिद चले जाते हैं। ]
जुहाक---नरगिस का बुलाओ, ज़रा ग़म ग़लत करे। ( गुलाब के हाथ से शराब का प्याला लेकर ) यह मेरी फ़तह का जाम है।
रूमी---मुबारक हो, ( दिल में ) ज़ियाद तुम्हें डुबा देगा, तब नरमा का मज़ा मालूम होगा।
[ नरगिस ज़ुहाक की पीठ पर बैठी हुई आती है। ]
यज़ीद---शाबाश नरगिस, शाबाश, क्या खूब खच्चर है। इसकी काई तशबीह ( उपमा ) देना शम्स।
शम्स---मुर्ग़ के सिर पर ताज है।
रूमी---लीद पर मक्खी बैठी हुई है।
नरगिस---( गर्दन पर से कूदकर ) लाहौल-बिला-कूवत।
यज़ीद---वल्लाह, इस तशबीह से दिल खुश हो गया। नरगिस, बस इसी बात पर एक मस्ताना ग़ज़ल सुनाया। खुदा तुम्हारे दीवानों को तुम पर निसार करे।
नरगिस गाती है---
शबे-वस्ल वह रूठ जाना किसी का,
वह रूठे को अपने मनाना किसी का।
कोई दिल को देखे न तिरछी नज़र से ,
ख़ता कर न जाये निशाना किसी का।
अभी थाम लोगे तुम अपने जिगर को,
सुनो तो सुनाएँ, फ़िसाना किसी का।
ज़रा देख ले चल के सैयाद तू भी,
कि उठता है अब आब-दाना किसी का।
वह कुछ सोचकर हो लिये उसके पीछे,
जनाजा हुआ जब रवाना किसी का।