कहना, क़त्ल करो और इस तरह क़त्ल करो कि देखनेवालों के दिल थर्रा जायँ। तीरों से छिदवानो, कुत्तों से नुचवाओ, ज़िन्दा खाल खिंचवाओ, लाल लोहे से दाग़ दो। जो हुसैन का नाम ले, उसकी ज़बान तालू से खींच ली जाय। वह सज़ा सज़ा नहीं, जो सख़्त न हो।
यज़ीद---मैं इस हुक्म की ताईद करता हूँ। जा, और फिर ऐसी छोटी-छोटी बातों के लिए मेरे अाराम में बाधा न डालना।
[ क़ासिद का प्रस्थान। ]
हुसैन का कूफ़ा आना मेरे लिए मौत के आने से कम नहीं। क़सम है आँखों की, वह कूफ़ा न आने पायेगा, अगर मेरा बस है।
शम्स---ताज्जुब यही है कि कूफ़ावालों ने तीन क़ासिद भेजे, और हुसैन जाने पर राज़ी नहीं हुए।
यज़दी---तैयारियाँ कर रहा होगा। वलीद अगर मेरे चचा का बेटा न होता, तो मैं अपने हाथों से उसकी आँखें निकाल लेता। उसने जान-बूझकर हुसैन को मक्का जाने दिया। मदीना ही में क़त्ल कर देता, तो मुझे आज इतनी परेशानी क्यों होती। कौन जाकर उसे गिरफ़्तार कर सकता है?
हुर---मैं इस ख़िदमत के लिए हाज़िर हूँ।
यज़ीद-अगर तुम यह काम पूरा कर दिखाओ, तो इसके सिले में मैं तुम्हें एक सूबा दूँगा, जिस पर जन्नत भी फ़िदा हो। मेरी फ़ौज से एक हजार चुने हुए आदमी ले लो, और जब आफताब निकले, तो तुम्हें यहाँ से बीस फ़र्सख़ पर देखें।
हुर---इंशाअल्लाह!
यज़ीद---जैसे शिकारी शिकार की तलाश करता है, उसी तरह हुसैन की तलाश करना। बीहड़ रास्ते, अँधेरी घाटियाँ, घने जंगल, रेतीले मैदान, सब छान डालना। दिन की फ़िक्र नहीं, पर रात को अपनी आँखों से नींद को यों भगा देना, जैसे कोई दीनदार आदमी अपने दरवाज़े से कुत्ते को भगाता है।
हुर---हक्म की तामील करूँगा। ( स्वगत ) यज़ीद बदकार है, बेदीन